गर्मी के बाद बाढ़: बारिश के इंतज़ार के बाद पूरे देश में कई जगह बाढ़ की स्थिति है। फोटो - Diariocritico de Venezuela_Flickr

मॉनसून ने मचाई कई जगह तबाही, दिल्ली भी पहुंची आखिरकार बौछारें

मॉनसून आखिरकार पूरे देश में फैल गया और लगातार बारिश के कारण कई जगह बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। उत्तर भारत में दिल्ली में आखिरकार बरसात हुई और लोगों को चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत मिली। राजस्थाने के पूर्वी हिस्से में भी बहुत भारी बारिश हुई। मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश और ओडिशा  – जहां पहले ही काफी बरसात हो रही है – के पूर्वी तट में भारी बारिश और तूफान का पूर्वानुमान किया। 

पश्चिमी हिस्से में गुजरात में 900 मिमी बारिश हो चुकी है। यहां हर साल सामान्यतया 1,450 मिमी तक बारिश होती है। वलसाड और नवसारी ज़िलों में नदियों में भारी उफान और बाधों के लबालब होने की ख़बरें हैं।  

दक्षिण में केरल में पांच दिन लगातार बारिश होने के कारण हाई अलर्ट किया गया और यहां अब भी बरसात हो रही है। अधिकारियों ने बताया कि कुछ बांध पूरी तरह भर चुके हैं और मौसम विभाग ने राज्य के 8 ज़िलों में यलो अलर्ट जारी किया।   आंध्र प्रदेश में गोदावरी में उफान के कारण गांवों में पानी भर गया। अधिकारियों के मुताबिक 16 साल बाद इस नदी में पानी 25 क्यूसेक से ऊपर गया है।  

बरसात में गड़बड़ी के पीछे ब्लैक कार्बन का हाथ 

एक मॉडलिंग अध्ययन में पता चला है कि भारत के पूर्वोत्तर में हवा में ब्लैक कार्बन की बढ़ती मात्रा वर्षा का ग्राफ गड़बड़ा रही है। इससे कुछ जगह कम तीव्रता वाली बारिश घट गई और मूसलाधार बारिश में बढ़ोतरी हुई। ब्लैक कार्बन एक तरह का वायु प्रदूषक है जो जीवाश्म ईंधन, बायोमास और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से वायुमंडल में आता है।   कार्बन डाई ऑक्साइड के बाद ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों को बढ़ाने में इसका बड़ा रोल है। मोंगाबे इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जहां मॉनसून पूर्व की बरसात में कमी आई है वहीं एरोसॉल बढ़ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि गंगा के मैदानी इलाकों से भी ब्लैक कार्बन नॉर्थ-ईस्ट में पहुंच रहा है। 

टमाटर की उपज पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर  

एक नई रिसर्च बताती है कि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर टमाटर की पैदावार पर पड़ रहा है। इससे सॉस, पिज्जा और केचप जैसे उत्पादों का बाज़ार गड़बड़ा सकता है। साइंस पत्रिका जर्नल नेचर फ़ूड में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक 2050 तक सॉस, केचप जैसे उत्पादों के लिए जरुरी टमाटरों का उत्पादन 6 फीसदी तक घट सकता है। वैश्विक स्तर पर देखें तो इन सॉस, केचप जैसे उत्पादों के लिए इस्तेमाल होने वाले टमाटरों का उत्पादन बहुत सीमित क्षेत्रों में केंद्रित है। यह रिसर्च बताती है कि चीन और मंगोलिया जैसे देशों के कुछ इलाकों में टमाटर की पैदानार बढ़ेगी वहीं इटली समेत यूरोपीय देशों में इसकी उपज घट सकती है। 

यूरोप में भयानक आग, कुछ क्षेत्रों में तापमान 45 डिग्री के पार पहुंचा

पूरे यूरोप में एक असामान्य हीटवेव के कारण कई जगह आग की घटनायें हो रही हैं। दक्षिण फ्रांस से लेकर, स्पेन, पुर्तगाल, टर्की और क्रोशिया में यह देखने को मिला और महाद्वीप में तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेट के पार चला गया। दक्षिण फ्रांस के बोर्डियू में 800 अग्निशमन कर्मियों ने दो बड़ी आग पर काबू पाने के लिये संघर्ष किया और 6,500 लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगहों पर ले गये।     

आग की इन घटनाओं के कारण हज़ारों एकड़ धरती बर्बाद हो चुकी है। पुर्तगाल के एक ज़िले में ही 3,000 हेक्टेयर और पश्चिम स्पेन में 3,500 हेक्टेयर ज़मीन नष्ट होने की ख़बर है। यहां से 400 लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाना पड़ा। 

दुनिया के पांच सबसे अधिक प्रदूषण करने वाले देशों ने पहुंचाया 6 लाख करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान 

एक नये अध्ययन में पाया गया है कि 1990 और 2014 के बीच दुनिया के पांच सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करने वाले देशों ने विश्व अर्थव्यवस्था को 6 लाख करोड़ डॉलर की चोट पहुंचाई। अमेरिका और चीन के कारण ही इन 25 सालों में कुल 1.8 लाख करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ। रूस, भारत और ब्राज़ील ने कुल 50 हज़ार करोड़ डॉलर के बराबर नुक़सान पहुंचाया। 

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