विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण से भारत की साल-दर-साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में 0.56 प्रतिशत अंक की कमी आती है। ‘प्रतिशत अंक’ शब्द का उपयोग दो अलग-अलग प्रतिशतों की तुलना करते समय किया जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘एयर पॉल्यूशन रेड्युसेस इकोनॉमिक एक्टिविटी: एविडेंस फ्रॉम इंडिया’ यह बताती है कि सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) के संपर्क ने देश भर के जिलों में आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित किया है। इस रिपोर्ट के लिए 1998-2020 की अवधि में जिला-स्तरीय जीडीपी पर परिवेशी पीएम2.5 के स्तर में परिवर्तन के प्रभाव की जांच करने के लिए जिलों की वार्षिक जीडीपी में बदलाव का अध्ययन किया गया।
पेपर में देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को कवर करते हुए लगभग 550 जिलों के आंकड़े एकत्रित किए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भारत की वास्तविक जीडीपी में 90% का योगदान देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास पर वायु प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि यह काम पर श्रमिकों की उत्पादकता को कम करता है, बीमारी के कारण श्रमिकों की अनुपस्थिति बढ़ाता है और कृषि उत्पादकता को सीधे नुकसान पहुंचाता है। रिपोर्ट का अनुमान है कि यदि प्रत्येक वर्ष (1998 और 2020 के बीच) प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार 50% कम होती तो तो अवधि के अंत तक भारतीय सकल घरेलू उत्पाद 4.51% अधिक होता।
यूपी, राजस्थान और हरियाणा से एनसीआर जाने वाली बसों को 1 नवंबर से साफ ईंधन से चलाना होगा
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस साल 1 नवंबर तक एनसीआर जिलों से चलने वाली और दिल्ली आने वाली सभी बसें या तो इलेक्ट्रिक वाहन हों, सीएनजी पर चलती हों या बीएस-VI डीजल वाहन हों। सीएक्यूएम के अनुसार, यह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वाहन स्रोतों के योगदान को कम करने के लिए है। सीएक्यूएम ने एनसीआर के राज्यों से यह योजना बनाने और लक्ष्य हासिल करने का भी आग्रह किया है कि 30 जून, 2026 तक एनसीआर से शुरू होने वाली या यहां समाप्त होने वाली सभी बसें केवल सीएनजी पर चलेंगी या इलेक्ट्रिक होंगी। सीएक्यूएम का कहना है की कुशल और स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, विशेष रूप से एनसीआर के भीतर अंतर-शहर और इंट्रा-सिटी बस सेवाएं, पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी।
वायु प्रदूषण और अत्यधिक गर्मी में घातक दिल का दौरा पड़ने का खतरा हो सकता है दोगुना
बढ़ती गर्मी और हवा में मौजूद सूक्ष्म कण दिल के दौरे से होने वाली मौत के खतरे को दोगुना कर सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने एक चीनी प्रांत में 2015 और 2020 के बीच दिल के दौरे से होने वाली 2 लाख से अधिक मौतों का विश्लेषण किया, जो चार अलग-अलग मौसमों और तापमान और प्रदूषण के स्तर की एक श्रृंखला का अनुभव करता है। अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक ठंड या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिन दिल के दौरे से मृत्यु के जोखिम के साथ “महत्वपूर्ण रूप से जुड़े” थे। सबसे बड़ा जोखिम अत्यधिक गर्मी और उच्च वायु प्रदूषण स्तर दोनों के संयोजन वाले दिनों में देखा गया था। परिणामों से पता चला कि महिलाएं और वृद्ध वयस्क विशेष रूप से जोखिम में थे।
कोहिमा, दीमापुर वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे
नागालैंड के दो प्रमुख शहर कोहिमा और दीमापुर दोनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर पाए । जबकि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लॉन्च के बाद से पिछले तीन वर्षों में कोहिमा शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, दीमापुर की वायु गुणवत्ता बिगड़ रही है। एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि नागालैंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) के पास हवा के नमूनों का विश्लेषण करने के लिए दीमापुर में सात और कोहिमा में तीन उपकरण हैं और एनपीसीबी हवा के सैंपल की रिपोर्ट केंद्र को भेजता है।
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