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महाकुंभ में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा, लिए गए यह उपाय

महाकुंभ में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और आस्था पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण नदियां सूख रही हैं और चरम मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस मौके पर ‘महाकुंभ जलवायु परिवर्तन घोषणापत्र’ जारी करते हुए आदित्यनाथ ने लोगों से आग्रह किया कि एक दूसरे को दोष देने की बजाय, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने का प्रयास करें।

इस पहल के तहत राज्य भर में धार्मिक केंद्रों और मंदिरों को पर्यावरण के अधिक अनुकूल बनाया जाएगा। सरकार की योजना सोलर पैनल स्थापित करने, वर्षा जल संग्रह प्रणाली स्थापित करने, कचरे को रीसायकल करने, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और पवित्र स्थलों के आसपास हरित क्षेत्र बनाने की योजना है। इसके अतिरिक्त, धार्मिक संगठनों को पर्यावरणीय शिक्षा और सस्टेनेबल प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए समर्थन दिया जाएगा।

सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के कारण गंगा नदी पर मंडरा रहे खतरे पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों और धर्मगुरुओं ने गंगा नदी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की, और इस महत्वपूर्ण जल स्रोत की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।

जानकारों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा में धार्मिक नेताओं को शामिल करके इसे आम लोगों तक और बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकता है। 

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक आईफॉरेस्ट सम्मेलन की नॉलेज पार्टनर है। संस्था के सीईओ चंद्रा भूषण कहते हैं कि “धर्म और आस्था में समाज को प्रभावित करने की अपार क्षमता है। क्लाइमेट एक्शन तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि यह जनता को सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित न करे। वैज्ञानिकों या नीति निर्माताओं के विपरीत, धार्मिक नेताओं को पता है कि लोगों को यह संदेश कैसे देना है।”

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