चीन के हांगझू में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की बैठक सोमवार को शुरू हुई लेकिन अमेरिका वर्तमान में चल रहे सातवें मूल्यांकन चक्र से हट गया है।
इससे पहले रायटर्स ने जानकारी दी थी कि अमेरिकी सरकार ने अपने वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन बैठकों में भाग लेने से रोक दिया है। इस निर्णय से नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) और यूएस ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम जैसे प्रमुख अमेरिकी संगठनों के वैज्ञानिक प्रभावित होंगे।
इससे पहले, ट्रंप प्रशासन ने पहले पेरिस डील समेत अंतर्राष्ट्रीय जलवायु समझौतों से पीछे हटने और क्लाइमेट रिसर्च के लिए फंडिंग कम करने के फैसले लिए हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक, हांग्जो में अमेरिका की अनुपस्थिति से पता चलता है कि वह संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ही पीछे हट सकता है। विशेषज्ञ इस निर्णय से चिंतित हैं क्योंकि अमेरिका वैश्विक जलवायु प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अमेरिका के प्रतिष्ठित संगठनों के वैज्ञानिक आईपीसीसी के कई वर्किंग ग्रुप्स के साथ काम करते हैं। इनके द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के तरीकों (एडाप्टेशन और मिटिगेशन) पर कई गहन वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार होती हैं और उसकी के आधार पर सरकारों को नीतियां तय करने और हालात का आकलन करने में मदद मिलती है। लेकिन ट्रंप सरकार के इस कदम का मतलब है कि अब अमेरिकी वैज्ञानिक आईपीसीसी की समीक्षा में भाग नहीं लेंगे और अमेरिका आईपीसीसी को फंडिंग नहीं देगा।
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