उत्तराखंड के जंगल पिछले एक हफ्ते से धू-धू कर जल रहे हैं। अब तक यहां आग की करीब 700 घटनायें हो चुकी हैं और 870 हेक्टेयर से अधिक इलाका प्रभावित हुआ है। इसमें 600 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल खत्म हो गये हैं। वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 3800 से अधिक पौध नष्ट हो गई हैं और राज्य को 20 लाख रुपये से अधिक की क्षति हुई है। उत्तराखंड के नैनीताल, अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग ज़िलों एनडीआरएफ की टीमें जंगलों में लगी आग को काबू करने के लिये वन विभाग की मदद हेतु भेजी गई हैं। इस बीच सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से आग बुझाने के लिये लिये पानी बरसाया गया है। जंगलों में आग अक्सर जानबूझकर या लापरवाही से इंसानों द्वारा ही लगाई जाती है। सरकार ने आग की इन घटनाओं के बाद 227 मामले दर्ज किये हैं और 39 लोगों को गिरफ्तार किया है।
हिमालय में 600 से अधिक ग्लेशियल झीलों का आकार बढ़ा: इसरो
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि हिमालय में पहचानी गई हिमनद झीलों (ग्लेशियल लेक) में से 27 प्रतिशत से अधिक में 1984 के बाद से उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। इनमें से 130 भारत में हैं। इसरो ने कहा कि 1984 से 2023 तक भारतीय हिमालयी नदी घाटियों के जलग्रहण क्षेत्रों की दीर्घकालिक उपग्रह छवियां हिमनद झीलों में महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करती हैं।
इसरो ने कहा, “2016-17 के दौरान पहचानी गई 10 हेक्टेयर से बड़ी 2,431 झीलों में से 676 हिमनद झीलों में 1984 के बाद से उल्लेखनीय विस्तार हुआ है।” इसरो के मुताबिक 676 झीलों में से 601 का विस्तार दोगुने से अधिक हो गया है, जबकि 10 झीलों का विस्तार 1.5 से दो गुना और 65 झीलों का 1.5 गुना हो गया है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इन 676 झीलों में से 130 भारत में स्थित हैं, जिनमें से 65, सात और 58 क्रमशः सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में स्थित हैं। हिमनद झीलों को उनकी निर्माण प्रक्रिया के आधार पर चार व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है — मोरेन-बांधित (मोरेन द्वारा बांधित जल), बर्फ-बांधित (बर्फ द्वारा बांधित जल), कटाव (कटाव द्वारा निर्मित अवसादों में बंधा पानी), और अन्य हिमनद झीलें। जिन 676 झीलों का विस्तार हुआ है उनमें से अधिकांश मोरेन-बांधित (307) हैं, इसके बाद कटाव (265), अन्य (96), और बर्फ-बांधित (आठ) हिमनदी झीलें हैं।
इसरो ने हिमाचल प्रदेश में 4,068 मीटर की ऊंचाई पर (सिंधु बेसिन में) स्थित घेपांग घाट हिमनद झील में हुए दीर्घकालिक परिवर्तनों पर प्रकाश डाला। 1989 से 2022 के बीच इसका आकार 36.49 हेक्टेयर से 101.30 हेक्टेयर तक बढ़ गया, जो 178 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। प्रति वर्ष वृद्धि लगभग 1.96 हेक्टेयर रही।
ग्लेशियरों के पिघलने से बनी ये हिमनद झीलें हिमालय क्षेत्र में नदियों के लिए मीठे पानी के स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, ये ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जैसे जोखिम भी पैदा करती हैं, जिससे निचले स्तर पर बसने वाले समुदायों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
अक्टूबर में सिक्किम में लगातार बारिश के कारण राज्य के उत्तर-पश्चिम में 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक हिमनद झील — दक्षिण लोनाक झील — के फटने से कम से कम 40 लोग मारे गए और 76 लोग लापता हो गए थे।
जलवायु आपदाओं का खतरा एशिया पर सबसे अधिक: डब्ल्यूएमओ रिपोर्ट
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में एशिया मौसम संबंधी आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित रहा। द स्टेट ऑफ़ द क्लाइमेट इन एशिया, यानी एशिया में जलवायु की स्थिति 2023 रिपोर्ट के अनुसार, महाद्वीप को बाढ़ और तूफ़ान के कारण जान-माल का सबसे अधिक नुकसान हुआ। हीटवेव का प्रभाव भी लगातार गंभीर होता जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में 2023 में हाइड्रो-मेटिओरोलॉजिकल, यानि जल-मौसम विज्ञान संबंधी घटनाओं से जुड़ी 79 आपदाएं दर्ज की गईं। उनमें से 80% से अधिक का संबंध तूफान और बाढ़ से संबंधित घटनाओं से था, जिसके परिणामस्वरूप 2,000 से अधिक मौतें हुईं और 90 लाख लोग प्रभावित हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है, फिर भी गर्मी से संबंधित मौतों को अक्सर दर्ज नहीं किया जाता है। एशिया वैश्विक औसत से भी अधिक तेजी से गर्म हो रहा है। 1961-1990 की अवधि के बाद से तापमान वृद्धि का ट्रेंड लगभग दोगुना हो गया है।
बढ़ता तापमान और अनियमित वर्षा
एशिया में पिछले साल सतह के निकट वार्षिक औसत तापमान इतिहास में दर्ज दूसरा सबसे अधिक तापमान था, जो 1991-2020 के औसत से 0.91 डिग्री सेल्सियस और 1961-1990 के औसत से 1.87 डिग्री सेल्सियस ऊपर था। पश्चिमी साइबेरिया से लेकर मध्य एशिया और पूर्वी चीन से जापान तक विशेष रूप से उच्च औसत तापमान दर्ज किया गया। जापान और कजाकिस्तान दोनों में गर्म वर्षों ने रिकॉर्ड स्थापित किया।
2023 में तुरान तराई क्षेत्र (तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान) के बड़े हिस्से; हिंदू कुश (अफगानिस्तान, पाकिस्तान); हिमालय; गंगा के आसपास और ब्रह्मपुत्र नदियों के निचले हिस्से (भारत और बांग्लादेश); अराकान पर्वत (म्यांमार); और मेकांग नदी का निचले मार्ग पर सामान्य से कम वर्षा हुई।
दक्षिण-पश्चिम चीन सूखे से पीड़ित रहा, जहां 2023 में लगभग हर महीने वर्षा का स्तर सामान्य से नीचे रहा और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून में भी बारिश औसत से कम रही।
पिघलते ग्लेशियर
हाई-माउंटेन एशिया क्षेत्र तिब्बती पठार पर केंद्रित एक उच्च-ऊंचाई वाला भौगोलिक क्षेत्र है और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर यहां सबसे बड़ी मात्रा में बर्फ होती है, जिसके लगभग 100,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर ग्लेशियर, यानि हिमनद हैं। पिछले कई दशकों से इनमें से अधिकांश ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई माउंटेन एशिया क्षेत्र में जिन 22 ग्लेशियरों को देखा गया, उनमें से 20 ग्लेशियरों में लगातार बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। पूर्वी हिमालय और टीएन शान के अधिकांश हिस्से में रिकॉर्डतोड़ उच्च तापमान और शुष्क परिस्थितियों ने अधिकांश ग्लेशियरों के लिए बड़े पैमाने पर नुकसान को बढ़ा दिया। 2023 में एशिया में स्नो-कवर (बर्फ की चादर) का दायरा 1998-2020 के औसत से थोड़ा कम था।
समुद्री-सतह का तापमान और गर्म होते महासागर
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में, उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर की सतह का औसत तापमान सबसे अधिक पाया गया, जो दर्ज रिकॉर्ड के मुकाबले सबसे गर्म था। बैरेंट्स सागर को जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील है। समुद्र की सतह गर्म होने से समुद्री बर्फ का आवरण कम होता है। वहीं सफेद बर्फ का आवरण हट जाने से समुद्र की सतह अधिक सौर ऊर्जा सोख लेती है, जिससे उसका तापमान बढ़ जाता है। इससे एक फीडबैक लूप बन जाता है जिसमें दोनों ही प्रक्रियाएं एक-दूसरे को बढ़ावा देती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ऊपरी महासागर (0 मीटर-700 मीटर) की गर्मी विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी अरब सागर, फिलीपीन सागर और जापान के पूर्वी समुद्रों में अधिक है, जो वैश्विक औसत से तीन गुना ज्यादा तेज है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्कटिक महासागर के एक बड़े हिस्से, पूर्वी अरब सागर और उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में समुद्री हीटवेव — समुद्र को प्रभावित करने वाली लंबी अवधि की अत्यधिक गर्मी — देखी गई जो तीन से पांच महीने तक चली।
चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि
भारत, यमन और पाकिस्तान में बाढ़ के कारण सबसे अधिक संख्या में मौतें हुईं। भारत में अप्रैल और जून 2023 में भीषण हीटवेव के कारण हीटस्ट्रोक से लगभग 110 मौतें हुईं। हीटवेव की एक बड़ी और लंबी अवधि की घटना अप्रैल और मई में हुई, जिसने दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्से को प्रभावित किया। इसका विस्तार पश्चिम में बांग्लादेश और पूर्वी भारत तक और उत्तर से दक्षिणी चीन तक था, जहां तापमान रिकॉर्ड स्तरों पर पहुंच गया था।
“दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप तीनों तरफ से सबसे तेजी से गर्म हो रहे उष्णकटिबंधीय महासागर और उत्तर में पिघलते हिमालय के ग्लेशियरों से घिरा हुआ है। इस कारण से यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन का पोस्टर चाइल्ड बन गया है। उष्णकटिबंधीय मौसम प्रणालियां तेजी से विकसित होती हैं, तेज गति से चलने वाली और छोटी होती हैं, जिसके कारण यह अप्रत्याशित होती हैं। जलवायु परिवर्तन ने मौसम को और अधिक अनिश्चित और विनाशकारी बना दिया है। जैसे-जैसे हिंद महासागर का पानी गर्म हो रहा है, इससे उठने वाली अधिक गर्मी और नमी से मौसम प्रणालियां तीव्र हो रही हैं। पिछले चार दशकों के दौरान अरब सागर में चक्रवातों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है, और भविष्य में ताउते और अम्फन जैसे अत्यधिक गंभीर चक्रवात आने का अनुमान है। हिंद महासागर से अपनी ऊर्जा और नमी प्राप्त करने वाला मानसून अधिक अनियमित हो गया है, जिसमें कम समय के लिए भारी बारिश होती है और लंबे समय तक शुष्क अवधि होती है, जिससे एक ही सीजन में बाढ़ और शुष्क मौसम होता है,” भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा।
2023 में पश्चिमी उत्तरी प्रशांत महासागर और दक्षिण चीन सागर के ऊपर कुल 17 नामित उष्णकटिबंधीय चक्रवात बने। यह संख्या औसत से कम थी, लेकिन फिर भी इनका प्रभाव बहुत था और चीन, जापान, फिलीपींस और कोरिया जैसे देशों में रिकॉर्ड-तोड़ बारिश हुई। उत्तरी हिंद महासागर बेसिन में अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान मोका ने 14 मई को म्यांमार के राखीन तट पर दस्तक दी, जिससे बहुत नुकसान हुआ और 156 लोगों की मौत की खबर मिली।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में अत्यधिक वर्षा की कई घटनाएं हुईं। नवंबर में भारी बारिश के कारण सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में बाढ़ आ गई। यमन को भी भारी वर्षा और व्यापक बाढ़ का सामना करना पड़ा।
2023 में एशिया के कई हिस्सों ने अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया। जापान में इतिहास का सबसे गर्म मौसम दर्ज किया गया। चीन ने उच्च तापमान की 14 घटनाओं का अनुभव किया, जिसमें लगभग 70% राष्ट्रीय मौसम विज्ञान स्टेशनों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा और 16 स्टेशनों ने अपने तापमान रिकॉर्ड तोड़ दिए।
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