एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि नॉक्स (NOx) इमीशन में कटौती से कृषि उत्पादकता में सुधार होता है। यह पाया गया कि इस कटौती से चीन में सर्दियों में उपज 25% बढ़ोतरी हुई और गर्मियों में यह बढ़ोतरी 15% रही। पश्चिमी यूरोप में यह बढ़ोतरी 10% (गर्मियों और सर्दियों दोनों सीजन में) रही। भारत में सर्दियों में 6% और गर्मियों में 8% बढ़ोतरी पाई गई।
स्टैंफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में की गई यह स्टडी साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित हुई है। नाइट्रोज़न के ऑक्साइड – जो कि वाहनों और बिजलीघरों से निकलते हैं – किस तरह खेती को प्रभावित करते हैं यह जानने के लिये पहली बार सैटेलाइट तस्वीरों का प्रयोग किया गया।
उत्सर्जन निरोधी उपकरण लगाने के लिये दो साल की ढील और चाहता है बिजली मंत्रालय
भारत के बिजली मंत्रालय ने कोयला बिजली घरों में उत्सर्जन निरोधी उपकरण लगाने की समय सीमा दो साल और बढ़ाने की मांग की है। इन उपकरणों को लगाने के लिये तीसरी बार समय सीमा आगे बढ़ाने की मांग की गई है। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं। यहां कुल बिजली उत्पादन का 75% कोयले से होता है और औद्योगिक प्रदूषण में 80% हिस्सा कोयला बिजलीघरों से होने वाला प्रदूषण है।
मंत्रालय ने एक बार फिर सल्फर जैसे प्रदूषकों को रोकने की टेक्नोलॉजी लगाने के लिये बिजलीघरों को और समय देने की मांग की है। अब तक यह काम न हो पाने के पीछे कोरोना महामारी के कारण पैदा हालात को एक वजह बताया है। जानकार कहते हैं कि स्पष्ट रूप से यह प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सरकार की कथनी और करनी का अंतर दिखाता है।
करीब 98% महाराष्ट्र वायु प्रदूषण की गिरफ्त में
विश्व बैंक की एक नई स्टडी में महाराष्ट्र के दुनिया के सबसे प्रदूषित सब-नेशनल क्षेत्रों में की सूची में तीसरे नंबर पर रखा है। राज्य की 97.6% जनसंख्या हानिकारक या असुरक्षित स्तर वाली प्रदूषित हवा (विशेषरूप से पीएम 2.5 एरोसॉल) में सांस ले रही है।
अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स ने विश्लेषकों के हवाले से बताया है कि महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के मुकाबले भीतरी हिस्सों में प्रदूषण बहुत ज़्यादा है क्योंकि वहां काफी तेज़ी से औद्योगिकीकरण हो रहा है। मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के इलाके में कठिन सर्दियां होती हैं और इस दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। अगले कुछ हफ्ते में महाराष्ट्र सरकार की 47 नये एयर क्वॉलिटी मॉनिटर लगाने की योजना है।
एनजीटी ने अडानी के ताप बिजलीघर पर लगाया जुर्माना
अडानी ग्रुप के कर्नाटक स्थित उडुपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ताप बिजलीघर पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 52 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने पाया कि यह प्लांट पर्यावरण और आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान कर रहा है। एनजीटी ने यह भी पाया कि प्रदूषण मॉनिटरिंग से छेड़छाड़ की गई है। अदालत ने अधिकारियों को इस मामले में उचित कदम उठाने के कहा है। मुआवजे की इस रकम का इस्तेमाल “पानी सप्लाई के लिये पर्यावरणीय ढांचे में सुधार, सीवेज, एसटीपी और ठोस कचरा प्रबंधन” के लिये किया जायेगा। यूपीसीएल ने 5 करोड़ की रकम अंतरिम आदेश के बाद जमा कर दी थी और बाकी का जुर्माना उसे 3 महीनों में देना होगा।
एनजीटी ने इस बारे में एक संयुक्त कमेटी का भी गठन किया जो कि कृषि और बागवानी विभाग के निदेशक और डिप्टी कमिश्नर के साथ सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। यह कमेटी जांच करेगी कि प्लांट से प्रदूषण का दस किलोमीटर के दायरे में खेती पर क्या प्रभाव पड़ा है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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