हिमाचल के बद्दी औद्योगिक क्षेत्र (ज़िला सोलन) में उद्योगों द्वारा तीन नदियों – बलाद, सिरसा और सतलुज – में किये जा रहे प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने फैसला दिया था। अब 6 अप्रैल के इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है। अपने फैसले में एनजीटी ने कहा था कि उद्योगों द्वारा डिस्चार्ज नदी में गिराते वक्त पर्यावरण मंत्रालय के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में दिये मानकों का पालन किया जाये।
पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के मानक अंतिम नोटिफिकेशन में शामिल नहीं किये हैं इसलिये अदालत का फैसला सही नहीं है लेकिन ट्रिब्यूनल ने याचिका को खारिज कर दिया और एनजीटी कानून के सेक्शन -20 का हवाला देते हुये कहा कि समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये अदालत पर्यावरण मंत्रालय के आदेशों से आगे जाकर भी फैसला सुना सकती है।
गेहूं निर्यात पर पाबंदी के बाद चीनी के एक्सपोर्ट पर आंशिक रोक
गेहूं के निर्यात पर लगी रोक के बाद सरकार ने अब चीनी के निर्यात पर आंशिक रोक लगाई है। उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने आदेश दिया है कि 1 जून से 30 सितंबर के बीच अधिकतम 100 लाख मीट्रिक टन (1 करोड़ टन) चीनी ही निर्यात की जा सकती है। भारत ब्राज़ील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी का निर्यातक देश है। सरकार ने इस साल इससे पहले खाद्य सुरक्षा और बढ़ती महंगाई को देखते हुये गेहूं के निर्यात पर पूर्ण रोक लगाई थी और अब चीनी पर यह फैसला लिया है। महत्वपूर्ण है कि इस साल हीटवेव के कारण गेहूं की फसल प्रभावित हुई जिसे जलवायु परिवर्तन का ही असर माना जा रहा है।
कॉप -27 वार्ता क्लाइमेट फाइनेंस पर केंद्रित हो: मिस्र
इस साल के अंत में जलवायु परिवर्तन वार्ता मिस्र में हो रही है और मेजबान देश का कहना है कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर विकासशील देशों की बात पर गौर होना चाहिये। मिस्र की अंतर्राष्ट्रीय मामलों में सहयोग की मंत्री रानिया अल मशात ने कहा है कि हम चाहेंगे कि यह वार्ता व्यवहारिक कदमों को लेकर हो और जो प्रण अब तक विकसित देशों ने किये हैं उन्हें कार्यान्वित किया जाये। संयुक्त राष्ट्र की सालाना जलवायु परिवर्तन वार्ता की 27वीं मीटिंग (कॉप-27) इस साल मिस्र के शर्म-अल-शेख में होगी। यह वार्ता यूक्रेन पर रूस के हमले से उपजी मूल्य वृद्धि के साये में होगी जहां गरीब और विकासशील देशों पर कर्ज़ से निपटने का संकट है तो अमीर देशों में लाइफ स्टाइल को बनाये रखने की चुनौती।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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