कंसल्टेंसी फर्म मैकिन्से ने कहा कि 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए भारत को अगले 30 वर्षों के लिए सालाना औसतन $600 बिलियन, या अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11% खर्च करना होगा। ‘द नेट-जीरो ट्रांजिशन: व्हाट इट वुड कॉस्ट, व्हाट इट वुड ब्रिंग’ के शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भौतिक परिसंपत्तियों पर वार्षिक पूंजीगत व्यय 2020 में लगभग 300 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 और 2050 के बीच औसतन 600 बिलियन डॉलर हो जाएगा। अधिकांश धन का उपयोग अक्षय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के उपयोग को कम करने के लिए किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों का जोखिम अपेक्षाकृत अधिक है, इसलिए भारत को जलवायु अनुकूलन उपायों में अन्य देशों की तुलना में अधिक निवेश करना पड़ सकता है। नेट-जीरो परिवर्तन के लिए ऊर्जा और भूमि उपयोग प्रणालियों की भौतिक परिसम्पत्तियों पर होने वाला प्रति वर्ष खर्च 2021और 2050 के बीच औसतन $9.2 ट्रिलियन (लाख करोड़), या वैश्विक स्तर पर संचयी रूप से $ 275 ट्रिलियन होगा। इसका मतलब मौजूदा स्तरों की तुलना में इसमें प्रति वर्ष $3.5 ट्रिलियन की वृद्धि होगी।
इरेडा को मिले 1,500 करोड़, एसईसीआई को 100 करोड़ रुपए का इक्विटी बूस्ट; पीएफसी, आरईसी ने की ब्याज दरों में 8.25% की कटौती
साफ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नवीकरणीय परियोजनाओं की सरकारी फाइनेंसर भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) के लिए 1,500 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। अब इरेडा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को ₹12,000 करोड़ का ऋण दे सकेगी। यह कंपनी अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक विशेष गैर-बैंकिंग वित्तीय एजेंसी के रूप में काम करती है।
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन जैसे राज्य के स्वामित्व वाले ऋणदाताओं ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक ऋण के लिए ब्याज दरों में 8.25% की कटौती की है।
सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के लिए भी एक हज़ार करोड़ रुपए (134.11 मिलियन डॉलर) की इक्विटी को मंजूरी दी। सरकार ने कहा कि इससे एसईसीआई सालाना 15 गीगावाट के आरई टेंडर जारी कर सकेगा।
रिलायंस अगले 10-15 वर्षों में गुजरात में 100 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगी
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड गुजरात में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के लिये 5.6 लाख करोड़ रुपये (75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) का निवेश करेगी। यह निवेश अगले 10 से 15 वर्षों में 100 गीगावाट अक्षय ऊर्जा परियोजना और हरित हाइड्रोजन इको-सिस्टम स्थापित करने के लिए होगा, पीवी पत्रिका ने बताया। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहले ही कच्छ, बनासकांठा और धोलेरा में 100 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा बिजली परियोजना के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है। कंपनी के कच्छ में 4.5 लाख एकड़ जमीन की मांग की है।
आरआईएल सौर मॉड्यूल, इलेक्ट्रोलाइज़र, ऊर्जा-भंडारण बैटरी और ईंधन सेल जैसे आरई उपकरणों के लिए विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए अतिरिक्त 60,000 करोड़ रुपए (8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करेगी।
चीन ने 2021 में पवन और सौर ऊर्जा क्षमता में किया 100 गीगावाट से अधिक का विस्तार
चीन की पवन और सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में साल 2021 में 100 गीगावाट से अधिक का विस्तार हुआ है, राष्ट्रीय प्रसारक सीसीटीवी ने बताया। देश के ऊर्जा नियामक नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, चीन की अपतटीय पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता पिछले साल 16.9 गीगावाट (जीडब्ल्यू) के विस्तार के बाद ‘दुनिया में पहले पायदान’ पर पहुँच गई है। चीन की वर्तमान अपतटीय (ऑफ शोर) पवन क्षमता 26.38गीगावाट है।
सिटी ए एम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में पूरे विश्व ने जितनी अपतटीय पवन क्षमता का निर्माण किया उससे अधिक चीन ने अकेले 2021 में किया। चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल ने दिसंबर 2021 में कहा कि नव स्थापित आरई परियोजनाओं और औद्योगिक कच्चे माल के उत्पादकों को अब ऊर्जा मात्रा और इंटेंसिटी कैप से छूट दी गई है।
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