काफी इंतज़ार के बाद दिल्ली सरकार ने बैटरी वाहन नीति को मंज़ूरी दे दी है। अब 5000 नये ई-रिक्शा सड़कों पर उतारे जायेंगे। इसके अलावा 2024 तक डिलीवरी सर्विस वालों को बैटरी दुपहिया वाहन पर छूट और फायदे मिलेंगे। हर ऑटो रिक्शा पर 30,000 तक की छूट या आकर्षक लाभ मिल सकते हैं। सभी नये रिहायशी और व्यवसायिक भवनों में 20% चार्जिंग सुविधा बैटरी वाहनों के लिये करना अनिवार्य होगा।
महत्वपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने ऑटो रिक्शा की संख्या को लेकर EPCA का समर्थन किया है। EPCA ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि राजधानी में ऑटो रिक्शा की 1 लाख की सीमा को खत्म किया जाये। इससे दिल्ली की सड़कों में ई-रिक्शा के कई नये दस्ते उतारे जा सकेंगे।
भोपाल: बाइक शेयरिंग का हिस्सा बनेंगी E-Bike
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहा पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट अपडेट किया जायेगा। अगले साल (2020) में इस प्रोजेक्ट के तहत ई-बाइक शामिल की जायेंगी। शहर में करीब 500 साइकिलों में बैटरी पैक और इलैक्ट्रिक मोटर लगाई जा सकती है। भोपाल का पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोग्राम अपनी तरह की पहला प्रोजेक्ट है जिसमें जीपीएस इंटीग्रेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है।
कैलिफॉर्निया: EV चार्जिंग को मापने की तैयारी
अमेरिका का कैलिफॉर्निया राज्य अब चार्जिंग स्टेशनों के लिये यह नियम बना सकता है कि वह EV बैटरी चार्जिंग के वक्त उपभोक्ता को बतायें कि बैटरी में कितनी बिजली “पम्प” की गई है। कैलिफॉर्निया स्टेट का मानना है कि माप की शुद्धता और मानकों के लिये नियम ज़रूरी हैं ताकि पारदर्शिता लाई जा सके। हालांकि इस विचार का EV2GO और टेस्ला जैसी कंपनियों ने विरोध किया है क्योंकि इन मानकों की पालना और मीटर लगाने में उन्हें लाखों डालर खर्च करने पड़ सकते हैं।
UK यूनिवर्सिटी बनायेगी भारतीय हालात के लिये EV बैटरियां
भारत की सड़कों पर इलैक्ट्रिक वाहन चलाना हो तो उस वाहन की बैटरियां भी जांबाज़ होनी चाहिये क्योंकि गर्मी इतनी पड़ती है कि लोहा भी पिघल जाये। हमारे देश के ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात के लिये UK की लॉगबरो यूनिवर्सिटी भारत के दो संस्थानों के साथ मिलकर बैटरियां बनायेगी। अभी इस्तेमाल की जा रही लीथियम आयन बैटरियों में 25 डिग्री से अधिक तापमान पर ओवरहीटिंग का ख़तरा है इसलिये इस भागेदारी के तहत बैटरियों में कूलिंग प्रणाली और तापमान बढ़ने से रोकने के विज्ञान पर शोध किया जायेगा।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।