निजीकरण की ओर: सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों को देने का फैसला किया। इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं | Photo: New Indian Express

केंद्र शासित प्रदेशों में डिस्कॉम के निजीकरण से उठे सवाल

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए बताया कि सरकार ने केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण को निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि यह अन्य राज्यों के लिये भी एक आदर्श मॉडल बनेगा।

हालांकि जानकारों का कहना है कि किसी ठोस रणनीति के अभाव में इस तरह के कदम कामयाब नहीं होंगे क्योंकि ऐसी कोशिश पहले भी की गई है जिसमें निजी वितरण कंपनियों को बेल आउट पैकेज दिये गये। उधर रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत के पावर सेक्टर को स्टेबल से घटाकर अब निगेटिव में रख दिया है। रेटिंग गिराने के पीछे कंपनियों को भुगतान में देरी, बिजली की घटती मांग और सरकार द्वारा उपक्रमों से अधिक उपभोक्ताओं के  पक्ष में उठाये गये कदम मुख्य कारण  हैं।

पॉलिसी पर  खनन मंत्रालय को नीति आयोग की चेतावनी

सरकार के सबसे बड़े थिंकटैंक नीति आयोग ने खनन मंत्रालय को चेतावनी दी है कि वह तब तक कोई पॉलिसी बदलाव न करे जब तक खनन के सभी लंबित मामलों पर फैसला न ले लिया जाये। नीति आयोग का मानना है कि लटके मामलों पर फैसला न लेने से निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है।  

नीति आयोग की चेतावनी उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद दी गई जिनमें कहा गया था कि खनन मंत्रालय बड़े नीतिगत बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत 2015 के माइंस एंड मिनरल (डेवलपमेंट एंड रेग्युलेशन) एक्ट में लाइसेंसिंग प्रक्रिया से जुड़ा बदलाव शामिल है। खनन मंत्रालय को लगता है कि ये बदलाव खनिज सम्पदा से भरे 500 इलाकों से पाबंदी हटा लेंगे।

ड्रिंलिंग से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा: ऑइल इंडिया

ऑइल इंडिया लिमिटेड ने साफ कहा है कि असम के डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में उसके हाइड्रोकार्बन ड्रिलिंग प्रोजेक्ट से पर्यावरण का कोई नुकसान नहीं होगा और इस नेशनल पार्क को भी कोई क्षति नहीं होगी। ऑइल इंडिया इस पार्क के 3.5 किलोमीटर नीचे ईंधन के लिये ड्रिलिंग करेगी। इस प्रोजेक्ट के लिये केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उसे पर्यावरणीय अनुमति दे दी है। यह हरी झंडी मिल जाने से कंपनी अब 7 नये इलाकों में नवीनतम टेक्नोलॉजी (एक्सटेंडेड रीच ड्रिलिंग  – ईआरडी)  का प्रयोग करेगी।

EU: 2030 तक कीटनाशकों का इस्तेमाल 50% घटाने का लक्ष्य

ग्रीन हाउस गैस इमीशन कम करने की महत्वाकांक्षी योजना के तहत अब यूरोपियन कमीशन ने कृषि क्षेत्र पर फोकस किया है। यह सेक्टर यूरोप के कुल 10% ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार है।  EU का कहना है कि वह 2030 तक रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल 50% घटा देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि 25% ज़मीन पर जैविक खेती हो। अभी यूरोप में जैविक खेती केवल 8% भूमि पर हो रही है।  ताज़ा योजना के तहत यूरोपियन यूनियन मछली और पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भी 50% घटायेगा।

EU: कोरोना के बाद साफ ऊर्जा और हाइड्रोजन पर ज़ोर

यूरोपिन यूनियन का कहना है कि कोरोना के बाद ज़िन्दगी को पटरी पर लाने के लिये जो प्लान बनाया गया है उसमें पर्यावरण को भरपूर तरजीह दी जायेगी। इसके तहत साफ ऊर्जा और हाइड्रोजन फ्यूल को बढ़ावा दिया जायेगा। छतों पर सोलर पैनल और सोलर हीटिंग जैसी सुविधाओं के लिये सालाना 9100 करोड़ यूरो (72800 करोड़ रुपये) खर्च किये जायेंगे। अगले दो साल में 15 GW साफ ऊर्जा के बिजलीघर लगाने के लिये 2500 करोड़ यूरो ( करीब 20,000 करोड़ रुपये)  का निवेश होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.