परियोजना पर सवाल: अरुणाचल में प्रस्तावित एटलिन जलविद्युत परियोजना पर सरकार की वन सलाहकार समिति ने पावर मिनिस्ट्री से सफाई मांगी है | Photo: Reuters

अरुणाचल प्रदेश: प्रस्तावित एटलिन जलविद्युत परियोजना पर सवाल

अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में एटलिन जलविद्युत परियोजना को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं। पहले जानकारों ने इस परियोजना पर भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया और अब सरकार की वन सलाहकार समिति (FAC) ने इसे लेकर पावर मिनिस्ट्री से सवाल किये हैं। FAC ने पावर मिनिस्ट्री से पूछा है कि क्या 3,097 मेगावॉट की यह परियोजना अपने वर्तमान स्वरूप में कारगर होगी। समिति का कहना है कि एटलिन प्रोजेक्ट 6 साल से लटका है और तब से अब तक भारत की बिजली आपूर्ति योजना में बदलाव भी आये होंगे। समिति ने अरुणाचल सरकार से इस परियोजना का कॉस्ट-बेनेफिट एनालिसिस करने को कहा है।

इससे पहले जानकारों ने इस हाइड्रो प्रोजेक्ट पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया था और कहा था कि रिपोर्ट में स्थानीय लोगों पर परियोजना के प्रभाव और जैव विविधता और वन्य जीवों से संबंधित स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।  इस बीच कई वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षण से जुड़े लोगों 4000 से अधिक लोगों ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी न देने के लिये पर्यावरण मंत्रालय को मेमोरेंडम दिया।

भारत में बिजली की मांग 2020-21 में 1% गिरेगी: ICRA

क्रेडिट एजेंसी ICRA का मानना है कि साल 2020-21 में भारत की पावर डिमांड में 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज होगी। पिछले 36 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में प्लांड-लोड फैक्टर भी गिरकर 54% हो जायेगा। ICRA की गणना यह मानते हुये की गई है कि ल़ॉकडाउन के बाद जुलाई से औद्योगिक और व्यवसायिक गतिविधियां पूरी तरह शुरू हो जायेंगी।

कोरोना के बावजूद क्लाइमेट लक्ष्य पर कोई समझौता स्वीकार नहीं

यूरोपीय सांसदों का कहना है कि कोरोना महामारी के बावजूद साल 2050 के लिये तय क्लाइमेट टार्गेट (जलवायु परिवर्तन पर काबू करने के लिये तय लक्ष्य) से कोई समझौता नहीं होना चाहिये। कुछ सांसदों ने यह मांग की कोयले पर निर्भर इलाकों को साफ ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने के लिये आर्थिक मदद बढ़ानी चाहिये। महामारी की वजह से यूरोप बाकी दुनिया की तरह आर्थिक संकट में है और सरकारें अर्थव्यवस्था को दुरस्त करने के लिये भारी खर्च करना पड़ रहा है। इसके बावजूद यूरोपीय एक्जक्यूटिव कमीशन ने जलवायु परिवर्तन रोकने की मुहिम पर डटे रहने का फैसला किया है।

वनों को कटने से रोकने के लिये अमेज़न में सेना भेजेगा ब्राज़ील पिछले एक साल में अमेज़न के जंगलों में बढ़े कटान के बाद अब ब्राजील, अमेज़न के जंगलों में आग और पेड़ों के कटान पर काबू करने के लिये सेना लगाने की सोच रहा है। ब्राज़ील के उप-राष्ट्रपति हेमिल्टन मोउराव ने कहा है कि सरकार इन वर्षावनों में एक स्थायी कैंप स्थापित करेगी जिसमें सैना और पुलिस के अलावा पर्यावरण एजेंसियों के लोग रहेंगे।

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