इस साल दुनिया होगी 1.5 डिग्री के बैरियर के पार

नासा के पूर्व वैज्ञानिक जेम्स हैनसन ने चेतावनी दी है कि इस साल मई तक धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री के उस बैरियर को पार कर जायेगी जिसे धरती के अस्तित्व के लिये बड़ा ख़तरा माना जा रहा है। हैनसन अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा में काम कर चुके वह वैज्ञानिक हैं जिन्हें यह श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने ही  1980 के दशक में   दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग के ख़तरों से आगाह किया था।

हालांकि क्लाइमेट साइंस में किसी एक साल में यह बैरियर पार हो जाने से ऐसा नहीं माना जाता कि वास्तव में धरती को 1.5 डिग्री तापमान से बचाने का मिशन फेल हो गया है। क्लाइमेट साइंटिस्ट मानते हैं कि लगातार कुछ सालों तक धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री से ऊपर रहे तो ही इस बदलाव को माना जायेगा हालांकि जलवायु आपदाओं और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर तो तब भी काफी हद तक दिखेगा ही। 

साल 2023 बना दुनिया का सबसे गर्म साल, भारत में 2016 के बाद सबसे ऊंचा तापमान 

बीता साल (2023) दुनिया का सबसे गर्म साल आंका गया है। यूरोपियन क्लाइमेट एजेंसी कॉपरनिक्स के मुताबिक धरती में तापमान वृद्धि 1.48 डिग्री आंकी गई। पेरिस संधि के तहत जलवायु परिवर्तन प्रभावों को सीमित रखने के लिये इस तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री से कम रखने का इरादा किया गया था लेकिन इतनी जल्दी हो रही तापमान वृद्धि बता रही है कि सरकारें अपने प्रयास में विफल रही हैं। इस साल की गर्मी में  अल-निनो प्रभाव भी दिख रहा है। इस साल इतिहास की सबसे गर्म फरवरी रिकॉर्ड की गई और कई महीने असामान्य रूप से गर्म रहे हैं। 

भारत में पिछले 122 सालों के इतिहास में भारत का दूसरा सबसे गर्म साल  रहा। मौसम विभाग ने 1901 से तापमान का रिकॉर्ड रखना शुरू किया है अब तक 2016 को सबसे गर्म साल माना जाता है। वातावरण में हवा का वार्षिक औसत तापमान में 0.65 डिग्री सेल्सियस (1981 से 2010 के औसत के मुकाबले) अधिक रहा रहा जबकि 2017 में यह वृद्धि 0,71 डिग्री थी। 

अगर बारिश के लिहाज से देखें तो उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हिस्से को छोड़कर  दिसंबर में देश में असामान्य बरसात हुई। यह करीब 25.2 मिलीमीटर मापी गई जो कि सामान्य से 60% अधिक है।  

कूनो पार्क में 3 चीता शावकों का जन्म

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में तीन और चीता शावकों का जन्म हुआ है। नामीबियाई चीता आशा ने 3 जनवरी को इन तीन शावकों को जन्म दिया। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शावकों की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए इसे प्रोजेक्ट चीता के लिए एक ‘बड़ी कामयाबी’ बताया।

इससे पहले मार्च 2023 में नामीबियाई चीता ज्वाला ने भी 4 शावकों को जन्म दिया था, लेकिन उनमें से एक ही जीवित बचा है। कूनो पार्क में इससे पहले अफ्रीका से लाए गए 20 में से छह वयस्क चीतों की भी मौत हो चुकी है, जिसके बाद प्रोजेक्ट चीता पर सवाल उठने लगे थे।

लेकिन इन तीन शावकों के जन्म के बाद अब कूनो में चीतों की संख्या 18 हो गई है। 

जोशीमठ के बाद अब हिमाचल के गांवों में भूधंसाव, भवनों में दरारें 

उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह अब हिमाचल प्रदेश के गांवों में भी भूधंसाव की ख़बरें आ रही हैं और घरों में दरारें दिख रही हैं। डाउन टू अर्थ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक लाहौल क्षेत्र के लिंडूर गांव में पिछले चार-पांच माह में भारी भू-धंसाव देखा गया है।  यहां 16 घरों में दरारें देखी गई जिनमें 9 घरों को भारी क्षति पहुंची है। आईआईटी मंडी के वैज्ञानिक इस भूधंसाव के कारणों की जांच कर रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि इसके पीछे बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाओं की क्या भूमिका है। महत्वपूर्ण है कि बीते साल जुलाई-अगस्त में इस क्षेत्र में 72 सालों में सबसे अधिक बरसात का रिकॉर्ड टूटा था। 

शाकाहार अपनाने से कम होगा प्रदूषण: रिसर्च

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि प्लांट-बेस्ड डाइट अपनाने से दुनिया भर में समय से पहले होने वाली 2,36,000 मौतों को रोका जा सकता है और इससे वैश्विक जीडीपी भी बढ़ सकता है। 

अध्ययन में कहा गया है कि खाद्य प्रणालियां दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं। यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो यह उत्सर्जन 2060 के दशक में पृथ्वी के औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ाने के लिए काफी होगा, जो अतिरिक्त तापमान को बढ़ा देगा।

इस अध्ययन में कृषि से होने वाली समस्याओं की फेहरिस्त में वायु प्रदूषण को भी शामिल किया गया है। कहा गया है कि पशुपालन अमोनिया उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है। यह उत्सर्जन अन्य प्रदूषकों के साथ प्रतिक्रिया करके सूक्ष्म कण बनाते हैं, जो हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

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