भारत में फरवरी का तापमान औसत से अधिक रहेगा, जिसके कारण गेहूं की फसल खतरे में पड़ सकती है। मौसम विभाग के सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि प्रमुख गेहूं और सफेद सरसों उत्पादक राज्यों में अधिकतम तापमान औसत से 5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक हो सकता है।
डाउन टू अर्थ ने एक रिपोर्ट में बताया है कि फरवरी 2025 के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में शीत लहर वाले दिनों की संख्या सामान्य से कम रहने का पूर्वानुमान है। वहीं पूरे देश में सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है। फरवरी में सामान्य से कम बारिश और सामान्य से अधिक तापमान का खेती पर गहरा असर पड़ने का अंदेशा जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में गेहूं जैसी खड़ी फसलों पर इसका बड़ा बुरा प्रभाव पड़ सकता है। सरसों और चना जैसी फसलें भी समय से पहले पक सकती हैं। मौसम विभाग ने किसानों को सुझाव दिया है कि फसलों के विकास को बनाए रखने के लिए बीच-बीच में हल्की सिंचाई करें।
लगातार तीन साल खराब पैदावार के बाद, महंगे आयात से बचने के लिए भारत को इस साल बहुत अच्छी फसल की उम्मीद है। लेकिन यदि अनाज के विकास के दौरान उच्च तापमान से लगातार चौथे वर्ष के लिए पैदावार कम हो सकती है, और कमी को दूर करने के लिए 40% आयात कर में कटौती की जा सकती है या इसे हटाया जा सकता है।
साल 2022 में फरवरी और मार्च के दौरान तापमान में अचानक वृद्धि से फसलों को नुकसान हुआ था, जिससे भारत को निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
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