वायु प्रदूषण को काबू करने के लिये भौगोलिक और राजनैतिक सीमाओं के हिसाब से नहीं बल्कि प्रदूषण के फैलाव और मौसमी कारकों के हिसाब से प्लानिंग ज़रूरी है। इसे ही एयरशेड मैनेजमेंट कहा जाता है। यूपी एयरशेड मैनेजमेंट को अपनाने वाला देश का पहला राज्य है। इसके तहत साल 2027 तक वायु प्रदूषण का स्तर 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश का एयरशेड मुख्यत: गंगा का मैदानी क्षेत्र है जो साल में कुछ वक्त पंजाब और हरियाणा से आने वाले पराली प्रदूषण से भी प्रभावित होता है। इसके तहत शहर में सूक्ष्म (माइक्रो लेवल) और पूरे राज्य के बड़े हिस्सों (मैक्रो लेवल) पर प्रदूषण को कवर किया जाता है। यूपी ने हाल ही में विश्व बैंक की मदद से एयरशेड प्रबंधन की ट्रेनिंग की थी।
हीटवेव के बाद ‘तेज़ आंधी’ से एयर क्वॉलिटी ‘बहुत ख़राब’
देश के बाकी हिस्सों के साथ दिल्ली में ज़बरदस्त हीटवेव या लू का कहर है और कम से कम एक जगह में तापमान 46 डिग्री से अधिक हो गया। इसी चिलचिलाती गर्मी में मौसम विभाग ने धूल भरी आंधी का पूर्वानुमान किया है जिससे एयर क्वॉलिटी खराब हो सकती है। नोयडा में गुरुवार को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 377 रहा यानी हवा ‘बहुत ख़राब’ श्रेणी में थी।
सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च का पूर्वानुमान है कि हवा की गुणवत्ता सोमवार से बुधवार के बीच ख़राब होगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्मियों में धूल प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है क्योंकि तेज़ धूप से मिट्टी सूख जाती है। साल 2018 में किये गये एक शोध के मुताबिक दिल्ली में सड़क से उठने वाली धूल और निर्माण क्षेत्र के कारण गर्मियों की हवा में 38% पीएम 2.5 और 42% पीएम 10 होता है। सर्दियों में यही आंकड़ा 17 और 25 प्रतिशत रहता है।
एनजीटी ने सरकार दिये इनडोर एयर क्वॉलिटी के लिये मानक बनाने के आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने सरकार से सार्वजनिक क्षेत्रों में इनडोर एयर क्वॉलिटी का नियमन करने को कहा है। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और संबंधित मंत्रालयों (जैसे शहरी विकास आदि) से इस पर काम करने को कहा। हरित अदालत ने कहा है कि इस विषय पर संयुक्ति समिति को महीने भर के भीतर अपनी पहली मीटिंग करनी चाहिये। कोर्ट ने आदेश दिया कि तीन महीने के भातर इसके लिये मानक तय किये जाने चाहिये।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली