बदलाव का सुझाव: संसदीय पैनल ने कहा है कि वन्य जीव सुरक्षा के लिये धार्मिक परम्पराओं और संरक्षण में एक सन्तुलन होना चाहिये। फोटो - The Wire

संसदीय पैनल ने वन्यजीव संरक्षण कानून में बदलाव के सुझाव दिये

जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थाई कमेटी ने हाथियों का व्यापार रोकने के लिये  वन्य जीव संरक्षण (अमेंडमेंट) बिल 2021 में बदलाव के सुझाव दिये हैं। पैनल ने कहा है कि राज्य और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड में गैर-सरकारी सदस्य भी होना चाहिये। पैनल ने कहा है कि धार्मिक परम्पराओं और संरक्षण में एक सन्तुलन होना चाहिये। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित बिल व्यापार के खिलाफ हाथियों को मिले बचाव को कमज़ोर करता है। 

संसदीय पैनल की रिपोर्ट में वे नियम और शर्तें बताई गई हैं जो पकड़े गये और सुपुर्द किये गये जंगली जानवरों को दिये संरक्षण को कड़ा बनाती हैं।  पैनल ने कहा है कि कम से कम तीन वन्यजीव संस्थानों से गैर सरकारी सदस्यों और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लू डब्लू आई) के निदेशक या उनके द्वारा नामित सदस्य को वाइल्ड लाइफ बोर्ड्स में जगह मिलनी चाहिये। 

आरबीआई ने सीमेंट उद्योग से इमीशन घटाने के लिये सीसीएस जैसी ‘हरित’ टेक्नोलॉजी की पैरवी की 

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट में  सीमेंट उद्योगों से हो  रहे इमीशन को कम करने के लिये कार्बन कैप्चर जैसे प्रौद्योगिकीय खोजों की पैरवी की गई है। रिपोर्ट सीमेंट क्षेत्र के लिये इस “ग्रीन टेक्नोलॉजी” को एक “उत्साहवर्धक अवसर” बताती है। चीन के बाद भारत दुनिया में सीमेंट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। प्रधानमंत्री आवास, स्मार्ट सिटी मिशन और नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसे कार्यक्रमों से सीमेंट की मांग बढ़ेगी। हालांकि कार्बन कैप्चर तकनीक को लेकर काफी विवाद रहा है और कई विशेषज्ञ इसे ग्रीन टैक्नोलोजी नहीं मानते हैं। 

भारत एक साल  के भीतर अपना यूनीफॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट शुरू करेगा

भारत अपना खुद का यूनीफॉर्म कार्बन मार्केट लॉन्च करने की योजना बना रहा है। वह कार्बन क्रेडिट का सबसे बड़ा उत्पादक है। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक कार्बन ट्रेडिंग स्कीम को ध्यान में रखकर सरकार कानून में परिवर्तन कर सकती है। इस अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि नई स्कीम के तहत व्यापार योग्य सभी वर्तमान सर्टिफिकेट आ जायेगें जो फिर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात नहीं किये जा सकेंगे। 

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दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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