डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल के पहले दिन राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल (नेशनल एनर्जी इमरजेंसी) की घोषणा की। यह ट्रम्प द्वारा जीवाश्म ईंधन के पक्ष में कदम उठाने और पहले से ही तेजी से बढ़ रहे अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को “मुक्त” करने के प्रयासों का हिस्सा था। इसके तहत ट्रम्प ने अलास्का में ड्रिलिंग पर प्रतिबंध वापस ले लिया है और गैस निर्यात पर पहले लगाई गई रोक को भी हटा लिया है।
महत्वपूर्ण है कि एनर्जी इमरजेंसी की घोषणा ट्रम्प के चुनाव प्रचार का हिस्सा थी और इससे उनकी सरकार को नई जीवाश्म ईंधन के लाइसेंस देना संभव होगा। लेकिन उनके इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
एविएशन फ्यूल, प्राकृतिक गैस पर लग सकता है जीएसटी: पुरी
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) जल्द ही वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ जाएगा। चूंकि एटीएफ एयरलाइंस की परिचालन लागत का लगभग 40% होता है, यह कदम से उनका वित्तीय बोझ बहुत कम हो सकता है। जेट ईंधन उत्पादक मैनुफैक्चरिंग और रिफाइनिंग उपकरण पर दिए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले पाते हैं, जिससे एटीएफ की कुल लागत बढ़ जाती है। जिससे अंततः एयरलाइन सञ्चालन की लागत और टिकट के दाम भी बढ़ते हैं।
इसके अतिरिक्त, सरकार प्राकृतिक गैस को भी जीएसटी के तहत शामिल करने के बारे में सोच रही है। पुरी के अनुसार, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शुरू में इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें इसका फायदा समझ में आ गया है। इस कदम से गैस पर निर्भर व्यवसायों की उत्पादन लागत कम होगी और टैक्स कोड भी सुव्यवस्थित होगा।
जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन कम न हुआ तो पुणे में 40% बढ़ेंगी डेंगू से होनेवाली मौतें: शोध
एक हालिया वैश्विक अध्ययन ने चेतावनी दी है कि यदि जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन को कम नहीं किया गया तो पुणे में डेंगू से संबंधित मौतें 2060 तक 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिओरोलॉजी और पुणे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन जैसे संस्थानों द्वारा किए गए इस शोध में कहा गया है कि इस अनुमानित वृद्धि में तापमान एक महत्वपूर्ण कारक है।
शताब्दी के मध्य तक पुणे का औसत तापमान 1-1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, इसके अलावा वर्षण और आर्द्रता भी बढ़ने की उम्मीद है। ये जलवायु परिवर्तन डेंगू संक्रमण के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि इस जोखिम को कम करने के लिए उत्सर्जन में कटौती जरूरी है।
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