भारत के ऑटोमोटिव उद्योग को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों पर नए इंसेंटिव के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर ध्यान दिया जाएगा। ईवी बैटरी और चार्जिंग सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण घटकों पर जीएसटी में कटौती की मांग लंबे समय से की जा रही है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है, लेकिन बैटरी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर 18 प्रतिशत की उच्च दर से टैक्स लगाया जाता है। उद्योग से जुड़े व्यापारियों की दलील है कि इससे लागत बढ़ती है, और एडॉप्शन प्रभावित होता है। इसके अलावा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बैटरी मैनुफैक्चरिंग पर भी नीतिगत सहायता की उम्मीद की जा रही है।
भारत में 7.4% तक बढ़ा ईवी का प्रयोग, 20230 तक होगी 30-35% हिस्सेदारी: रिपोर्ट
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गया। ईटी ऑटो ने एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़कर 30-35% हो सकती है। हालांकि फिर भी दबदबा जीवाश्म ईंधन वाहनों का ही रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, पीएम ई-ड्राइव और एसपीएमईपीसीआई जैसी सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं से ईवी अडॉप्शन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, आईसीई वाहनों को रेट्रोफिट करने से पुराने वाहन निर्माताओं को लाभ होगा, जबकि ईवी स्टार्टअप स्थापित करने की लागत अधिक है। चूंकि भारत ने इस बाजार में देर से प्रवेश किया है, इसलिए इनोवेशन की संभावना कम है। अभी भी कई क्षेत्रों में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और फ़ास्ट चार्जिंग की कमी है। वर्तमान में, चार्जिंग प्रदाताओं का मुनाफा अधिक है, लेकिन भविष्य में प्रमुख स्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा के चलते प्रॉफिट प्रभावित हो सकता है।
2025 में पेट्रोल-डीज़ल से अधिक होगी इलेक्ट्रिक करों की बिक्री: रिपोर्ट
भारत का इलेक्ट्रिक कार बाजार 2025 में बड़ी बढ़ोत्तरी की ओर देख रहा है। इस साल लॉन्च होने वाली 28 कारों में से 18 मॉडल इलेक्ट्रिक होंगे, जो डीजल और पेट्रोल मॉडल से अधिक होंगे। यह वृद्धि पिछले वर्षों के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से अधिक है। साल के अंत तक ईवी कारों की 200,000 यूनिट बिकने की उम्मीद है, जो कारों की कुल बिक्री का 4 प्रतिशत होगी।
गूगल-बीसीजी की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि तीन भारतीय उपभोक्ताओं में से एक ईवी खरीदने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय लेने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। रिपोर्ट के अनुसार, चुनौतियों के बावजूद, इनोवेशन और स्थानीय मैनुफैक्चरिंग के कारण एडॉप्शन बढ़ रहा है।
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