कैलिफोर्निया में भयानक आग, कम से कम 25 लोगों की मौत

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य का लॉस एंजिल्स शहर भीषण जंगल की आग का सामना कर रहा है, जिसमें 10,000 से अधिक भवन और इमारतें नष्ट हो गई हैं और कम से कम 25 लोगों की मौत हुई है। सांता अनास नामक हवा के “भयंकर झोंके” आग को लगातार उग्र बना रहे हैं। आग सबसे बड़ी घटनाओं में पैलिसेड्स फायर और ईटन फायर क्रमशः पैसिफिक पैलिसेड्स क्षेत्र और पैसेडीना के आसपास के इलाकों को तबाह कर दिया है।

कार्बनकॉपी ने पहले रिपोर्ट किया था कि आग की इन घटनाओं को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका है। आग की घटनाओं के कारण 180,000 से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा है, और अतिरिक्त 200,000 लोगों को निकासी के लिए चेतावनी दी गई है। आग के कारण कम से कम $100 बिलियन यानी करीब 8,50,000 करोड़ रुपये की हानि भी अनुमान है, जिससे यह संभावित रूप से कैलिफोर्निया के इतिहास में आर्थिक रूप से सबसे भीषण आपदा साबित हुई है।

तेज़ हवाओं और शुष्क परिस्थितियों ने स्थिति को और खराब कर दिया है, और आग बुझाने के प्रयासों में बाधा आ रही है। 

2024 बना इतिहास का सबसे गर्म साल, पहली बार 1.5 डिग्री का बैरियर टूटा 

बीते साल 2024 को आधिकारिक रूप से इतिहास का सबसे गर्म घोषित कर दिया गया है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने शुक्रवार को पुष्टि की कि वर्ष 2024 सबसे गर्म वर्ष था, और पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक वैश्विक औसत तापमान वाला पहला वर्ष था।

डब्लू एम ओ ने कहा कि बीते 10 साल (2015-2024) धरती के इतिहास में रिकॉर्ड तापमान के लिहाज़ से सबसे गर्म रहे हैं। यूरोपीय क्लाइमेट एजेंसी, कॉपरनिकस ने कहा कि 2024 में औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था। यह 1991-2020 के औसत से 0.72 डिग्री अधिक और पिछले रिकॉर्ड धारक साल 2023 की तुलना में 0.12 डिग्री अधिक।

हालांकि 1.5 डिग्री की इस तापमान वृद्धि को अभी स्थाई नहीं कहा जा सकता।पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन 20 या 30 साल की अवधि में दीर्घकालिक वार्मिंग को कहा जाता है। यानी अगर 2025 या उसके एक दो साल बाद किसी वर्ष 1.5 डिग्री की सीमा पार नहीं होती तो इसे स्थाई वृद्धि नहीं माना जा सकता।  

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) का आज का आकलन एक बार फिर साबित करता है – वैश्विक तापन एक गंभीर और कठोर सच है।”

उत्तर भारत में शीत लहर का प्रकोप जारी

दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में शीत लहर और  कोहरे का प्रकोप जारी है। इस मौसम में पहली बार, बुधवार 15 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में तीन घंटों तक घना कोहरा छाया रहा, जिसके चलते 100 से अधिक उड़ानें और 26 ट्रेनें बाधित हुईं। मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया, जिसमें कई इलाकों में घने से बहुत घने कोहरे की चेतावनी दी गई है।

शीतलहर और सर्दी ने राजस्थान के भी अधिकांश जिलों को प्रभावित किया है। 13 जनवरी को माउंट आबू में न्यूनतम तापमान -1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। चंडीगढ़ में भी कोहरा छाया रहा, जबकि जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 14 जनवरी को तापमान शून्य से 3.1 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में, जहां महाकुंभ चल रहा है, वहां 14 जनवरी को तापमान 13.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

उत्तर भारत के कई राज्यों ने सुरक्षा के तौर पर स्कूल की छुट्टियां बढ़ा दी हैं।

एक्सट्रीम हीटवेव के 41 दिन बढ़े   

जलवायु परिवर्तन प्रभाव से बीते साल 2024 में ख़तरनाक गर्मी वाले कम से कम 41 दिनों की बढ़ोतरी हुई। इस कारण मानव स्वास्थ्य और इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा। ये बात वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट में कही गई है। इसमें एक साल के एक्सट्रीम वेदर के आंकड़ों को रिव्यू किया गया। यह रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर वर्ष 2025 में मिटिगेशन और एडाप्टेशन के पर्याप्त कदम नहीं उठाये गये तो क्लाइमेट चेंज जनित संकट से मौतों की संख्या बढ़ सकती है। 

इसलिए सभी देशों को इसकी तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए हमें कार्बन और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस को छोड़कर साफ ऊर्जा की ओर बढ़ना होगा। वरना भविष्य में हीटवेव, बाढ़, फॉरेस्ट फायर जैसी आपदाओं की संख्या और मारक क्षमता दोनों में वृद्धि होगी। 

भारत में बढ़ रहे एचएमपीवी के मामले, शिशुओं को अधिक संक्रमण

चीन से शुरु हुए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले अब भारत में भी दिख रहे हैं। अभी तक कुल 15 मामले सामने आए हैं जिनमें ज़्यादातर बच्चे हैं। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कोरोनावायरस की तरह ही श्वसनतंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस है, जिसके पीड़ितों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हाल ही में उत्तरी चीन में, खासकर बच्चों में, इस वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 

हालांकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अबतक मिले तीनों मामले अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से नहीं जुड़े हैं, जो संकेत है कि संक्रमण स्थानीय रूप से फैल रहा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि एचएमपीवी भारत सहित वैश्विक स्तर पर पहले से ही प्रचलन में है, और देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) या सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (एसएआरआई) के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है।जलवायु परिवर्तन के कारण इकोसिस्टम में बदलाव होता है जिससे वायरस के पनपने के लिए अनुकूल स्थितियां पैदा होती हैं। इससे एचएमपीवी जैसे संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। वैश्विक तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के साथ वर्षा के बदलते पैटर्न से रेस्पिरेटरी वायरस का जीवनकाल और संक्रमण बढ़ सकता है।

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