दिल्ली में लगातार पांच दिनों के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में गिरावट दर्ज की गई, जो 356 से गिरकर 279 पर आ गया। लेकिन अभी भी प्रदूषण का स्तर ‘ख़राब’ की श्रेणी में ही है।
वहीं देश के सबसे प्रदूषित शहर की बात करें तो दूसरे शहरों को पीछे छोड़ ग्रेटर नोएडा पहले स्थान पर पहुंच गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 380 दर्ज किया गया। इसी तरह देश के छोटे बड़े अन्य 10 शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है।
इन शहरों में अररिया (359), भागलपुर (340), भिवाड़ी (305), बर्नीहाट (303), गाजियाबाद (318), हापुड़ (368), मुजफ्फरनगर (369), नगांव (315), नलबाड़ी (302) और नोएडा (348) शामिल हैं।
यदि देश में सबसे साफ हवा वाले शहर की बात करें तो तुमकुरु और वाराणसी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 32 दर्ज किया गया। इसी तरह देश के 16 अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहतर बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम दर्ज किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ देश के 36 अन्य शहरों में प्रदूषण से हालात दमघोंटू बने हुए हैं, जहां वायु गुणवत्ता लोगों को बीमार करने के लिए काफी है।
बच्चों के दिमाग पर प्रदूषण के प्रभाव पर कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं: पर्यावरण मंत्री
पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बताया है कि उच्च वायु प्रदूषण बच्चों के दिमाग और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है, इस बारे में कोई विशेष अध्ययन नहीं किया गया है। राज्यसभा में एक सवाल पूछा गया था कि क्या प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों के दिमाग, तंत्रिका तंत्र और सोचने-समझने की शक्ति पर असर पड़ता है। इसका जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों और उनसे होनेवाले नुकसान के बारे में कई अध्ययन किए गए हैं, लेकिन बच्चों के दिमाग और सोचने-समझने की शक्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इस बारे में कोई विशेष अध्ययन नहीं किया गया है।
हालांकि पिछले साल जनवरी में स्प्रिंगर नेचर जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ में प्रकाशित एक पेपर में पाया गया था कि गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषकों के अधिक संपर्क में आनेवाली महिलाओं के बच्चों के तंत्रिका तंत्र, सोचने समझने और भाषा सीखने की क्षमता कमजोर हुई थी।
जहाजों से होनेवाले SO2 उत्सर्जन को घटाने से बढ़ी ग्लोबल वार्मिंग
आशंका है कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए किए गए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों ने ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी ही की है। जलयानों से समुद्र और आबोहवा में फैलने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदार संगठन इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ) ने जलयानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन में सल्फर की मात्रा को 3.5 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत किया है।
विज्ञानियों का कहना है कि सल्फर डाई-ऑक्साइड (SO2) के उत्सर्जन में कमी ने नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच वैश्विक औसत तापमान में 1.32 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि में भूमिका निभाई होगी। इसके साथ ही जून 2023 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में समुद्री सतह के तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि हुई, जिससे संभवतः इस साल अमेजन में सबसे भयानक सूखा आया।
SO2 की वजह से सांस, हृदय और फेफड़े की बीमारियां हो सकती हैं और यह एसिड बारिश ला सकता है, जो फसल, जंगल और जलीय नस्लों के लिए खतरा है। लेकिन SO2 उत्सर्जन दो तरीके से पृथ्वी को ठंडा करता है। पहला तरीका सीधे असर करता है। दरअसल, आबोहवा में मौजूद SO2, सल्फेट एरोसोल में तब्दील हो जाता है, जो सौर विकिरण को अंतरिक्ष में प्रतिबिंबित करता है। दूसरे तरीके का प्रभाव अप्रत्यक्ष होता है। इसमें बादलों और सल्फेट एरोसोल के बीच संपर्क होता है, जिससे छोटे जल बूंदों वाले बादल बनते हैं और सल्फेट एरोसोल से चिपक जाते हैं।
दिल्ली: लैंडफिल साइट्स पर फेंका जा रहा है मलबा
दिल्ली में निर्माण और तोड़-फोड़ से उत्पन्न मलबे की प्रोसेसिंग करने के लिए चार विशिष्ट प्लांट होने के बावजूद, बहुत सा ऐसा कचरा भलस्वा, ग़ाज़ीपुर और ओखला की लैंडफिल साइट्स पर भेजा जा रहा है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने आयुक्त को पत्र लिखकर कचरे का निस्तारण करने वाली एजेंसियों के खिलाफ जांच करने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
पिछले साल सितंबर में एमसीडी ने मलबे का निस्तारण करने के लिए 158 स्थान निर्धारित किए थे। लेकिन मेयर शेली ओबेरॉय ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुलासा किया कि इस प्रक्रिया में “बड़ी अनियमितताएं” हैं। निर्दिष्ट कलेक्शन पॉइंट होने से कचरे को अलग-अलग करने में सुविधा होती है। लेकिन ओबेरॉय ने कहा कि इन जगहों पर मलबे और ठोस अपशिष्ट को मिलाकर फिर लैंडफिल साइट्स पर भेजा जा रहा है, जिससे इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य ही विफल हो जा रहा है।
मलबे को लैंडफिल साइट्स पर फेंकने से पर्यावरणीय और आर्थिक दोनों प्रकार का नुकसान हो रहा है।
मेयर ने कहा कि कचरे का निस्तारण करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
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