बैटरी वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिये नीति आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि उनकारजिस्ट्रेशन फ्री होगा। आयोग ने अपना पुराना प्रस्ताव फिर से दोहराया है कि 2030 के बाद देश में केवल बैटरी वाहन ही बेचे जायेंगे।
यह प्रस्ताव आयोग ने पहली बार 2017 में दिया लेकिन ऑटो इंडस्ट्री के दबाव के बाद मार्च 2018 में नियमों में ढील दी गई। तब सरकार ने 2030 का लक्ष्य 30% बैटरी वाहनों की बिक्री तक सीमित कर दिया गया। देश की सबसे बड़ी आटो निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने भी 2030 तक 100% बैटरी वाहनों के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुये कहा है कि जब तक बैटरी वाहनों के पुर्जे बनाने में आत्मनिर्भरता न हो जायेहाइब्रिड वाहनों को ही बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
ऑटो कंपनियों ने बिक्री बढ़ाने के लिये सरकार से नियमों में ढील मांगी
बैटरी वाहन निर्माताओं ने सरकार से मांग की है EV वाहनों के देसी पुर्जे बनाने की यूनिट के लिये तय समय सीमा 6 से 9 महीने बढ़ाई जाये। अभी यह समय सीमा अप्रैल 2020 तक रखी गई है। इसी तरह देश के भीतर लीथियम आयन बैटरियां बनाने की डेडलाइन अप्रैल 2021 से बढ़ाकर अप्रैल 2023 करने की मांग भी ऑटो कंपनियों ने की है। भारत ने 2025 तक सभी दुपहिया और तिपहिया वाहनों को बैटरी चालित करने का लक्ष्य रखा है लेकिन वर्तमान हालात में देश के भीतर बने पुर्जों की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही।
ऑटो निर्माताओं ने फेम-II योजना के तहत दुपहिया वाहन पर मिलने वाली सब्सिडीको प्रति परिवार एक वाहन तक सीमित करने की शर्त हटाने को कहा है ताकि बैटरी दुपहिया वाहनों की बिक्री में तेज़ी लाई जा सके।
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