धुंएं की ट्रम्प: अगले साल चुनाव से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोयला बिजलीघरों को नियमों में छूट दी है। हालांकि उनके अपने देश में साफ ऊर्जा के लिये आवाज़ लगातार बुलंद हो रही है। फोटो – साउथईस्टकोलएश

ट्रम्प ने दिया ‘क्लीन एनर्जी मिशन’ को झटका, राज्यों के भरोसे छोड़ा अभियान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा का वह आदेश वापस ले लिया है जिसमें कोयला बिजलीघरों को अपने कार्बन उत्सर्जन में साल 2030 तक 32% कटौती करना ज़रूरी था। यह कटौती बिजलीघर से 2005 में हो रहे उत्सर्जन के आधार पर तय होनी थी। नये प्लान का नाम “एक्सिसबल क्लीन एनर्जी” है और यह कोल पावर प्लांट्स को अपनी लक्ष्य को तय करने के लिये 3 साल का वक्त देता है। इस मामले में सरकार ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) को फैसला लेने के अधिकार दिये हैं।

ट्रम्प के इस फैसले को साफ ऊर्जा मुहिम के लिये झटका और कोयला बिजलीघरों के लिये एक जीवनदान माना जा रहा है। महत्वपूर्ण है कि इसी महीने पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ट्रम्प प्रशासन पर समुद्र में तेल प्रदूषण से जुड़ी पाबंदियों को ढीला करने के लिये मुकदमा किया है।

यूनाइटेड किंगडम: कोयले-गैस से बिजली उत्पादन में करीब 50% की कमी

यूनाइटेड किंगडम में इस साल की पहली छमाही में तेल और गैस से बिजली उत्पादन कुल ऊर्जा का करीब 47% रहा जबकि साफ ऊर्जा का हिस्सा 48% हो गया। यूके ने इस कामयाबी को हासिल करने के लिये दो हफ्ते तक सारी बिजली सौर, पवन और जल विद्युत संयंत्रों से बनाई। देश के सेंट्रल पावर ग्रिड का कहना है कि आगे भी पूरे साल साफ ऊर्जा का ही ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल किया जायेगा।

हालांकि निराश करने वाली बात यह है कि अपने देश के भीतर साफ ऊर्जा को युद्धस्तर पर बढ़ावा दे रहा यूके 2013 से ही विकासशील देशों में कोयला और गैस बिजलीघर लगाने के लिये सालाना 320 करोड़ डॉलर कर्ज़ दे रहा है। 

प्रदूषित करने वाले जहाज़ों को कर्ज़ पर होंगी शर्तें, हवाई जहाज के ईंधन पर टैक्स का प्रस्ताव  

दुनिया के 11 बड़े बैंकों ने फैसला किया है कि उन व्यापारिक जहाजों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की मॉनिटरिंग होगी जिन्हें बिजनेस लोन दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक इन जहाजों को 2008 में निकलने वाले धुंयें के मुकाबले अपना कार्बन इमीशन 50% कम करना था।

उधर नीदरलैंड और स्वीडन के मंत्रियों ने यूरोपीय संघ के देशों से कहा है कि यूरोप में व्यापारिक संतुलन के लिये हवाई जहाज के ईंधन पर टैक्स लगे। यूरोपियन कमीशन के अध्ययन में पता चला है कि एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों की संख्या बढ़ा कर प्रदूषण में बढ़ोतरी की है लेकिन इन कंपनियों से बहुत कम ईंधन टैक्स लिया जा रहा है।

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