फसलों का ख़तरा: इस बार मॉनसून की अनिश्चितता ने फसल उत्पादन पर बड़ा असर डाला है। फोटो - Pixabay

कमज़ोर मॉनसून और हीटवेव से फसल को गंभीर खतरा

ज़बरदस्त गर्मी और केरल में जल्दी प्रवेश के बावजूद कमज़ोर मॉनसून ने इस बार फसल उत्पादन के लिये ख़तरा उत्पन्न कर दिया है। अगर बारिश में और देरी हुई तो चिन्तित किसान इंतज़ार कर रहे हैं कि वह अपनी फसल कब बोयेंगे। बारिश वक्त पर हो तो गर्मी और सूखे से कुछ राहत मिले। माना जा रहा है कि ऐसे कठोर मौसम के कारण पंजाब, यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों में गेहूं की पैदावार 10-35 प्रतिशत तक घट सकती है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2022 के मुताबिक  साल 2030 तक उत्पादन में गिरावट और खाद्य श्रंखला में व्यवधान के कारण 9 करोड़ भारतीयों के आगे भुखमरी का संकट आ सकता है।

कश्मीर, उत्तर-पूर्व में रिकॉर्ड बारिश, बाढ़ से 31 मरे   

कश्मीर और उत्तर-पूर्व में बारिश ने कहर बरपा दिया है। असम में हर साल की तरह इस बार भी हालात काफी ख़राब हैं। यहां के 28 ज़िलों में करीब 19 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुये हैं। यहां 3000 गांवों में बाढ़ है और करीब 50,000 हेक्टेयर भूमि में लगी फसल पानी में डूब गयी है। मेघालय और असम में ख़बर लिखे जाने तक 31 लोगों की मौत हो गई थी। त्रिपुरा में 60 साल की सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। 

उधर जम्मू-कश्मीर में अचानक भारी बारिश का दौर शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर पुंछ ज़िले के मंडी गांव में भारी बारिश की तस्वीरें वायरल हुईं जिनमें पानी  घरों में घुसता दिख रहा है। जम्मू क्षेत्र के कई इलाकों में भूस्खलन और सड़कों में पानी भर जाने की ख़बर आई। 

गंगा का गर्म होता पानी जन्म दे रहा नये संकट को

ऐसी संभावना है कि साल 2010 और 2050 के बीच गंगा रिवर बेसिन के पानी में औसत वार्षिक तापमान 1 से 4 डिग्री तक बढ़ेगा। पानी के गर्म होने से गंगा के उन बहाव क्षेत्रों में भी कॉमन कार्प, टिलाफिया और अफ्रीकन कैट फिश जैसी मछलियां हो सकती हैं जहां ये पहले नहीं पायी जाती थीं। ऐसे क्षेत्रों में जानकार इन्हें “घुसपैठ प्रजातियों” का नाम देते हैं। 

भारत की नेशनल बायोडाइवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) ने इन प्रजातियों को देश की फ्रेशवॉटर बायोडाइवर्सिटी के लिये ख़तरा बताया है। 

ये घुसपैठिया प्रजातियां अपने अस्तित्व के लिये धीरे-धीरे किसी जलनदीय क्षेत्र में विशेष पारिस्थितिक गुणों और जैवविविधता को खत्म कर सकती हैं और वहां से मिलने वाले प्राकृतिक फायदे समाप्त हो सकते हैं। जलीय प्रबंधन में बचाव ही इसका प्रभावी और कम खर्च वाला उपाय है। 

अमेरिका ने हीट वेव ने तोड़ा रिकॉर्ड, तापमान 50 डिग्री तक पहुंचा 

अमेरिका के कुछ हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत अधिक तापमान और नमी दर्ज की गई है। इस कारण 10 करोड़ अमेरिकियों घरों के भीतर रहने को कहा गया है। कैलिफोर्निया के कई इलाकों में तापमान सामान्य से बहुत ऊपर गया और 11 जून को यह 50 डिग्री पार कर गया।

अमेरिका में  मौसम संबंधी किसी भी अन्य आपदा के मुकाबले अत्यधिक गर्मी से सबसे अधिक लोग मरते हैं। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जलवायु संकट के कारण आने वाले दिनों में ऐसी आपदायें और बढ़ेंगी क्योंकि अमेरिका में इस कारण सूखे की समस्या गहरायेगी। 

सारे कार्बन इमीशन रोकने पर भी 1.5 डिग्री के लक्ष्य में नाकाम होने की 42% आशंका 

एक ताज़ा शोध बताता है कि अगर “सारे इमीशन रातोंरात रोक भी दिये जायें” तो इस बात की 42% संभावना है कि तापमान वृद्धि के 1.5 डिग्री के बैरियर को पार होने से नहीं रोका जा सकता। चार साल पहले यह डर 33% था। जानकार बता रहे हैं कि छोटी अवधि के लिये किये गये उपायों के बावजूद 2032 तक यह ख़तरा 66 प्रतिशत हो जायेगा। इससे पहले विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट में साफ कहा गया था अगले 5 में से किसी एक साल में 1.5 डिग्री का बैरियर पार हो सकता है। 

हालांकि रिसर्च कहती है कि अगर इमीशन तेज़ी से कम किये गये तो पेरिस सन्धि के तहत तय 2 डिग्री के लक्ष्य को अब भी हासिल किया जा सकता है। अगर सारे इमीशन आज रात रोक दिये जायें तो 2 डिग्री का बैरियर पार करने की संभावना फिर भी 2 प्रतिशत तो है ही। 

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