सोमवार को इस साल का बॉन क्लाइमेट चेंज सम्मलेन (एसबी58) शुरू हुआ। इस साल के अंत में दुबई में आयोजित होनेवाले कॉप28 सम्मलेन से पहले यह बैठक एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। हर साल की तरह इस साल भी उम्मीद है कि इस सम्मलेन में पिछले जलवायु परिवर्तन सम्मलेन, यानि कॉप27 में किए गए निर्णयों की कार्य समीक्षा की जाएगी।
हालांकि एसबी58 की शुरुआत अच्छी नहीं रही, क्योंकि सम्मेलन के एजेंडे को लेकर विभिन्न देश आम सहमति बनाने में विफल रहे। इस संबंध में जिन मुद्दों को लेकर विवाद रहा उनमें ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी), यानि इस बात की समीक्षा कि पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में किस देश ने कितनी प्रगति की है, तथा शमन और अनुकूलन प्रमुख हैं।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉप27 की अन्य महत्वपूर्ण घोषणाओं जैसे लॉस एंड डैमेज (हानि और क्षति) फंड और क्लाइमेट फाइनेंस की प्रगति पर क्या चर्चा होती है।
कॉप27 में पेरिस समझौते के अनुच्छेद 2.1सी पर हुए ‘शर्म-अल शेख डायलाग’ पर अभी कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है। इसके अनुसार क्लाइमेट फाइनेंस का प्रवाह पेरिस समझौते के तहत निर्धारित ग्लोबल वार्मिंग की सीमा के अनुरूप होना चाहिए।
साथ ही, बॉन सम्मेलन के दौरान हानि और क्षति पर दूसरी ग्लासगो वार्ता भी की जाएगी। उम्मीद है कि इस वार्ता के दौरान कॉप28 में लॉस एंड डैमेज फंड प्रस्तुत किए जाने की दिशा में सुझाव दिए जाएंगे।
आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट के बाद यह पहली जलवायु वार्ता है, जिसमें सरकारों को 2030 तक तेल, गैस और कोयले के उपयोग में कमी लाने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने की चेतावनी दी गई है।
बॉन में होने वाली हर प्रगति का कॉप28 पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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