साफ ऊर्जा की खोज: सरकार ने तय किया है बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को भी अब साफ ऊर्जा में गिना जायेगा। फोटो: ETEnergyWorld

450 GW साफ ऊर्जा का दावा, बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर नज़र

न्यूयॉर्क में हुये ताजा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ ऊर्जा का लक्ष्य बढ़ाकर 450 गीगावॉट कर दिया है जबकि जानकार कहते हैं कि भारत ने साल 2022 तक 175 गीगावॉट साफ ऊर्जा का जो लक्ष्य घोषित किया है उसे हासिल कर पाना ही अभी नामुमकिन दिख रहा है। सरकार इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को भी साफ ऊर्जा में गिन रही है जबकि अब तक सरकार केवल 25 मेगावॉट या उससे कम क्षमता की जलविद्युत परियोजनाओं को ही साफ ऊर्जा मानती थी।

पहले साफ ऊर्जा में पवन ऊर्जा का हिस्सा 50% था लेकिन अब घटकर 29.3% रह गया है। इसी तरह सौर ऊर्जा का शेयर 34.68% से घटकर 21.61% रह जायेगा। दूसरी ओर बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को क्लीन एनर्जी में शामिल कर लेने से साफ ऊर्जा में हाइड्रो का हिस्सा 6% से उछलकर 41% हो जायेगा यानी 7 गुना की वृद्धि। जानकार कहते हैं कि इन कोशिशों को साफ ऊर्जा की क्षमता बढ़ाना नहीं कहा जा सकता बल्कि ऊर्जा क्षेत्रों का नया नामकरण कहा जा सकता है।

ग्रीन कंपनियों को मिलेगा आसान कर्ज़?  

प्रधानमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग से कहा है वह ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिये कर्ज़ मुहैया कराने की योजनाओं पर विचार करे। PMO की यह कोशिश प्रधानमंत्री के 450 GW साफ ऊर्जा के ऐलान से जोड़कर देखी जा रही है।  अंग्रेज़ी अख़बार मिंट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने उन कंपनियों को कर्ज़ देने से मना कर दिया है जिनकी  ₹ 3 / यूनिट से कम पर बिजली बेचनी की योजना थी।

सोलर की ₹ 2.44 प्रति यूनिट और पवन ऊर्जा के ₹ 2.43 प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचने से बैंकों को भरोसा नहीं है कि ये प्रोजेक्ट लम्बे समय तक चल पायेंगे। नीति आयोग अभी भुगतान न कर पाने वाली वितरण कंपनियों से निपटने में ही व्यस्त है और कई साफ ऊर्जा कंपनियों का पेमेंट पिछले 15 महीने से फंसा हुआ है।

साफ ऊर्जा में भारत का $ 9000 करोड़ निवेश: UNEP   

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने कहा है कि भारत ने इस साल के मध्य तक साफ ऊर्जा में करीब 9000 करोड़ अमेरिकी डॉलर लगाये जिससे भारत क्लीन एनर्जी सेक्टर के अग्रणी निवेशकों में आ गया है। हालांकि चीन अब भी इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। चीन ने 2010 से 2019 के बीच क्लीन एनर्जी सेक्टर में $ 75,800 करोड़ का निवेश किया है। इसके बाद अमेरिका ($ 35,600 करोड़) और जापान ($ 20,200 करोड़)  का नंबर है।

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