पर्यावरण कार्यकर्ताओं की जान को जोखिम के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे ख़तरनाक देश है। यह बात एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिसर्च मे यह बात कही गई है। भारत में पिछले साल 2018 में औसतन एक आदमी को हर महीने मारा गया जो ज़मीन और पर्यावरण को बचाने के लिये लड़ रहा था।
पूरी दुनिया में 2018 में कुल 164 लोगों की जान गई। फिलीपींस (30 मौत) ब्राज़ील (20 मौत) को पछाड़ कर पहले नंबर पर आ गया। कोलंबिया में कुल 24 लोगों की जान गई और वह दूसरे नंबर पर रहा। भारत में ऐसे कुल 23 लोगों की हत्या हुई और वह तीसरे नंबर पर है।
बेल्ट एंड रोड देशों में चीन का क्लीन एनर्जी निवेश बढ़ा: ग्रीनपीस
ग्रीनपीस के मुताबिक चीन ने 2014 से 2019 के बीच बेल्ट एंड रोड देशों में सौर और पवन ऊर्जा के बाज़ार में निवेश बढ़ाया है। ग्रीनपीस की रिपोर्ट कहती है 2014 के पहले इन देशों में चीन का सोलर और विंड एनर्जी निवेश केवल 0.45 GW था और 2014 से 2019 के बीच 12.6 GW का निवेश किया गया।
हालांकि चीन देश के भीतर साफ ऊर्जा संयंत्रों में निवेश कर अपना कार्बन फुट प्रिंट घटा रहा हो लेकिन देश के बाहर कहानी बिल्कुल अलग है। चीन कई देशों में लग रहे ऐसे कोयला संयंत्रों में भारी निवेश कर रहा है जिनके उत्सर्जन तय मानकों से भी मेल नहीं खाते।
धुंआं या राजनीति: महाराष्ट्र सरकार ने रसोई गैस सब्सिडी योजना को दी हरी झंडी
महाराष्ट्र सरकार ने 2021 तक सभी रसोईयों को धुआं मुक्त करने के लिये एक योजनापास की है जिससे बीपीएल परिवारों को एलपीजी सिलेंडर और चूल्हा दिया जायेगा। यह योजना प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की तर्ज पर होगी। इसमें उन बीपीएल परिवारों को गैस सिलेंडर और चूल्हा मिलेगा जो अब तक केंद्र सरकार की योजना में कवर नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाली विधानसभा चुनावों से पहले इस कदम के राजनीतिक मायने भी हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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