नई ईवी नीति को मंजूरी, विदेशी कंपनियों को मिलेगी छूट

सरकार ने नई इलेक्ट्रिक-वाहन नीति को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत भारत में मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने वाली कंपनियों को शुल्क में रियायतें दी जाएंगी, यदि वह कम से कम 500 मिलियन डॉलर (4,150 करोड़ रुपए) का निवेश करें। इस कदम के जरिए सरकार टेस्ला जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करना चाहती है। 

इस योजना के तहत, ईवी मैनुफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर एक सीमित संख्या में कारें आयात करने की अनुमति दी जाएगी।

इसके तहत कम से कम 4,150 करोड़ रुपए निवेश करने वाली कंपनियों को शुल्क में उनके निवेश के बराबर या 6,484 करोड़ रुपए, जो भी कम हो, की छूट दी जाएगी। यदि निवेश 800 मिलियन डालर (6,631 करोड़ रुपए) या अधिक है, तो प्रति वर्ष 8,000 से अधिक की दर से अधिकतम 40,000 ईवी के आयात की अनुमति होगी।

गौरतलब है कि टेस्ला भारत सरकार से कस्टम शुल्क में रियायत की मांग करती रही है।  हालांकि हाल ही में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत केवल टेस्ला के लिए अपनी नीति नहीं बदलेगा, बल्कि सभी कंपनियों को ध्यान में रखकर इसमें बदलाव किया जाएगा।

टेस्ला के अलावा, ई-वाहनों का अन्य प्रमुख वैश्विक निर्माता चीन की बीवाईडी कंपनी है।

सभी ऑटो कंपनियां एक निश्चित संख्या में ईवी निर्मित करें: ईएसी-पीएम

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने प्रस्ताव रखा है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को एक ट्रांसफरेबल मैंडेट दिया जाना चाहिए कि उनके द्वारा निर्मित वाहनों का एक निश्चित प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन होने चाहिए। ट्रांसफरेबल मैंडेट सरकार या किसी नियामक संस्था द्वारा कंपनियों पर लगाई गई शर्तों को कहते हैं जिसके तहत उन्हें कुछ मानकों या लक्ष्यों को पूरा करना होता है। इसके ट्रांसफरेबल होने का अर्थ यह है कि कंपनियां आपस में अनुपालन के इस दायित्व का हस्तांतरण या व्यापर कर सकती हैं।

ईएसी-पीएम के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय और निदेशक देवी प्रसाद मिश्रा द्वारा लिखे गए इस पेपर में सुझाव दिया गया है कि जीएसटी दरों में जरूरी फेरबदल करके इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद की अपेक्षा लीजिंग को बढ़ावा देना चाहिए।

पेपर में कहा गया है कि “अभी तक ईवी को बढ़ावा देने के लिए हमारी नीतियां सब्सिडी, टैक्स में छूट, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर केंद्रित रही हैं… कंपनियों को एक निश्चित प्रतिशत में ईवी का उत्पादन करने का ट्रांसफरेबल मैंडेट देना इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करने का एक प्रभावी तरीका होगा।”

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, 2030 तक भारत में हर साल एक करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन बिकेंगे, जिनके कारण पांच करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।

ईवी निर्माण: मूलनिवासियों की जमीनें हड़प रहीं माइनिंग कंपनियां

मानवाधिकार समूह क्लाइमेट राइट्स इंटरनेशनल (सीआरआई) ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग से इंडोनेशिया, फिलीपींस और कांगो में स्थानीय समुदायों के अधिकारों का हनन हो रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।  

पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ी है। ऐसे में इन वाहनों की बैटरी में प्रयोग होने वाले निकल जैसे खनिजों का खनन बहुत बढ़ गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा निकल के भंडार इंडोनेशिया और फिलीपींस में हैं।

ठीक ऐसा ही प्रभाव कांगो में कोबाल्ट और कोल्टन की माइनिंग का पड़ रहा है। इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर मूलनिवासियों की जमीनों पर निकल इंडस्ट्रियल ज़ोन बना दिए गए हैं।  

सीआरआई की उक्त रिपोर्ट में इंडोनेशिया के मलूकू प्रांत के हलमाहेरा गांव का ज़िक्र है, जहां के निवासियों ने माइनिंग कंपनियों पर डरा-धमकाकर उनकी ज़मीने खाली करवाने का आरोप लगाया है। मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि यदि वनों को इसी तरह नष्ट किया जाता रहा तो यहां के समुदाय अपना घर हमेशा के लिए खो देंगे।

कर्नाटक सरकार ने बंद की इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी सेवा

कर्नाटक सरकार ने राज्य में इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी सेवाओं के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश में कहा गया है कि इन सेवाओं से मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन हो रहा था और इन्हें “महिलाओं के लिए असुरक्षित” पाया गया।

राज्य सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने और दोपहिया बाइक टैक्सी पर यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस योजना को रद्द कर दिया गया है।  

कर्नाटक इलेक्ट्रिक बाइक-टैक्सी योजना 2021 में शुरू हुई थी। 

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