साल 2021 में जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम करने के प्रयासों में अविश्वसनीय प्रगति हुई, लेकिन इसे पूरी तरह ख़त्म करने में अभी लंबा वक्त लगेगा। आइए शुरुआत वहीं से करें जो बदला नहीं।
भारतीय गृह मंत्री ने वर्ष की शुरुआत में दावा किया था कि कोयला 2050 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में प्रमुख भूमिका निभाएगा। लेकिन कोयला ब्लॉकों की नीलामी के प्रति कंपनियों के ठंडे रुख ने कुछ और ही संकेत दिया। नॉर्वे की सरकार ने देश के पश्चिमी तट से (जो आर्कटिक के बहुत करीब है) अधिक तेल और गैस निकालने के लाइसेंस देने की पेशकश की, इसके बावजूद कि जलवायु कार्यकर्ताओं ने यह चेतावनी दी थी कि इस क्षेत्र में यदि तेल का रिसाव हुआ तो उसे साफ करना बेहद रूप से कठिन होगा। इसी क्रम में, समुद्र के नीचे पाइपलाइन फटने से तेल के रिसाव के कारण मैक्सिको की खाड़ी में एक विध्वंसकारी आग लगी जो शायद दशकों तक स्थानीय इकोसिस्सम को प्रभावित करती रहेगी। फिर भी मेक्सिको के पेमेक्स ने खुले तौर पर किसी भी रिसाव के होने से इनकार कर दिया और वहां अब भी रोजगार पैदा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के मुकाबले जीवाश्म ईंधन को वरीयता दी जाती है।
येल विश्वविद्यालय ने पाया कि पेरिस समझौते के छह साल बाद भी अमेरिकी जीवाश्म ईंधन कंपनियों को हर साल $ 62 बिलियन छुपी हुई (इम्प्लिसिट) सब्सिडी के रूप में मिल रहे थे क्योंकि उन्हें ईंधन के पर्यावरणीय या सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों के लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ रहा था। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्लू हाइड्रोजन का 20% अधिक जीवन-चक्र उत्सर्जन (लाइफ-साइकिल इमीशन) वास्तव में इसे पारंपरिक प्राकृतिक गैस या डीजल की तुलना में अधिक दूषित बनाता है, और इसलिए यह वास्तव में उत्सर्जन में कटौती के विपरीत मात्र एक भटकाव है।
अब थोड़ा उम्मीद बंधाने वाली ख़बरों की ओर बढ़ते हैं। फ्रांस ने 2.5 घंटे से कम समय की घरेलू उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे यात्रियों को ट्रेन से जाना होगा। जर्मनी भी इसे लागू कर रहा है क्योंकि यूरोपीय संघ ट्रांसपोर्ट सेक्टर में रोके जा सकने वाले उत्सर्जन को कम करने पर ज़ोर दे रहा है। इस बीच, स्वीडन के हाइब्रिट ने वोल्वो को दुनिया का पहला ग्रीन स्टील सौंपा (जो कोयले के बजाय हाइड्रोजन ऊर्जा का उपयोग करके बनाया गया है)। यह सुधार धीरे-धीरे औद्योगिक निर्माण में विकार्बनीकरण का रास्ता खोल सकता है। शिपिंग दिग्गज मार्सक ने साफ कहा कि ट्रांजिशन फ्यूल ‘अब प्रासंगिक नहीं रह गया है‘ और अपने कार्बन-न्यूट्रल बेड़े के लिए वह ग्रीन मेथनॉल के प्रयोग कर सकते हैं।राजनीतिक मोर्चे पर, नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल की शुरुआत 800 करोड़ डॉलर की विवादास्पद कीस्टोन एक्सएल पाइपलाइन के लिए सीमापार परमिट को रद्द करके की जिससे यह परियोजना प्रभावी रूप से समाप्त हो गई। अमेरिका विदेशों में चल रही कोयला, तेल और गैस परियोजनाओं पर पैसा लगाना (निवेश) भी बंद कर देगा और इसका बिजली क्षेत्र 2035 तक कार्बन-मुक्त हो सकता है, जबकि तंग आकर एक्सॉनमोबिल के शेयरधारकों ने एक बड़ा बदलाव करते हुए बोर्ड में तीन क्लाइमेट-फ्रेंडली निदेशकों को रखने में सफलता हासिल की। और अंत में, एक ऐतिहासिक निर्णय में नीदरलैंड की एक अदालत ने रॉयल डच शेल को केवल उत्सर्जन की तीव्रता को कम करने के बजाय पूर्ण उत्सर्जन में कमी दिखाने का आदेश दिया।
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