विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज डैनियल जैसे तूफानों के कारण होने वाली बारिश को कई गुना बढ़ा रहा है। Photo: @UnicefLibya on X

लीबिया में बाढ़ से तबाही, 20 हज़ार लोगों के मरने की आशंका

बीते रविवार लीबिया में सुनामी जैसी बाढ़ ने तटीय शहर डेर्ना को नेस्तानबूद कर दिया। बीबीसी में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक आपदा जैसे शब्द वहां के हालात को बयान करने के लिये काफी नहीं है। लीबिया में 6,000 से ज़्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है लेकिन जिस संख्या में लोग लापता बताये गये हैं उससे यह माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या 20,000 तक जा सकती है। राहत एजेंसियों का कहना है कि 30,000 से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। महत्वपूर्ण है कि लीबिया में कोई व्यवस्थित सरकार नहीं है और देश के जिस पूर्वी हिस्से में 80% तबाही हुई है वहां अलग अलग कबीलों का शासन है। 

भारी बारिश और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी   

लीबिया में चक्रवाती तूफान डेनियल के कारण भारी बरसात और दो बांधों के टूट जाने से प्रलय जैसे हालात पैदा हो गये। लीबिया के डेर्ना के पास बसे अल-बेदा में सालाना करीब 543 मिमी बारिश होती है और सितंबर में यहां करीब 12.7 मिमी औसत बारिश होती है लेकिन लेकिन 10-11 सितंबर को अल-बेदा में 414 मिमी से अधिक बारिश हो गई। इसी तरह डेर्ना में – जहां सितंबर में कुल 1.5 मिमी बारिश होती है वहां दो दिन के भीतर 150 मिमी बारिश हो गई। अचानक इतनी बरसात से यहां के हालात बेकाबू होने लगे। आंतरिक कलह और गृह युद्ध से जूझ रहे लीबिया के पास इस हालात से लड़ने के लिये संसाधन या तैयारी बिल्कुल नहीं थी। 

डेर्ना पर बने दो बांध टूटने से कहर 

वेबसाइट अलजज़ीरा के मुताबिक डेर्ना नदी पर बने दो बांधों में पहला बांध करीब 70 मीटर ऊंचा है और बारिश और भारी पानी के दबाव में वह टूट गया। इस बांध की देखभाल पिछले 20 साल से नहीं हो रही थी। इसके नीचे बने बांध में – जो पहले से भारी बारिश के कारण जलदबाव झेल रहा था – जब ऊंचाई से पहले बांध का पानी बड़े वेग के साथ आया तो वह भी टूट गया जिसके बाद 1 लाख आबादी वाले डेर्ना की बर्बादी तय हो गई। 

जलवायु परिवर्तन:  सैलाब से 1.5 मिलियन टन का दबाव 
बीबीसी में प्रकाशित एक इंटरव्यू में क्लाइमेट रिस्क और उससे निपटने की तैयारियों के विशेषज्ञ लिज़ स्टीफन ने कहा कि वैज्ञानिकों को इस बात का भरोसा है कि क्लाइमेट चेंज डैनियल जैसे तूफानों के कारण होने वाली बारिश को कई गुना बढ़ा रहा है। जो डेर्ना नदी तकरीबन पूरे साल में सूखी रहती थी उसमें इतना पानी आ गया कि दो बांध टूट गये। बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि पहले बांध से निकले हर एक घन मीटर पानी से एक टन के बराबर दबाव पैदा हुआ। इस बांध से करीब 1.5 मिलियन घनमीटर पानी छूटा जिसने 1.5 मिलयन टन का दबाव बनाया।

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