बदलाव की शुरुआत? दिल्ली और तेलंगाना ने औपचारिक रूप से बैटरी वाहन नीति को नोटिफाइ किया है | Photo: Saur Energy

दिल्ली और तेलंगाना में EV पॉलिसी लागू

दिल्ली सरकार ने आखिरकार बैटरी वाहन नीति को औपचारिक रूप से नोटीफाई कर दिया। इस नीति के तहत शहर में बिकने वाले कम से कम 25% वाहन इलैक्ट्रिक होंगे और इनकी खरीद पर 5000 रुपये प्रति किलोवॉट घंटा के हिसाब से छूट दी जायेगी। इस प्रकार बैटरी दुपहिया की खरीद पर 30,000 रुपये की अधिकतम छूट और बैटरी कार की खरीद पर 1,50,000 की छूट की सीमा तय की गई है। यह सब्सिडी पहले 1000 वाहनों पर लागू होगी। ड्राफ्ट पॉलिसी को 2018 में पहली बार नोटिफाइ किया गया था जिसका मकसद राजधानी के वायु प्रदूषण स्तर को कम करना है। 

उधर तेलंगाना ने भी EV पॉलिसी को लागू कर दिया है जिसके तहत सभी कैटेगरी के वाहनों पर छूट मिलेगी। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इस क्षेत्र में 30,000 करोड़ का निवेश आये।  इस धन से दिवितिपल्ली में एनर्जी पार्क लगा जायेगा ताकि बैटरी वाहन निर्माता राज्य में कारखाना लगायें। सरकार करीब 1.2 लाख रोज़गार पैदा करना चाहती है। संयोग से तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पिछले साल के मुकाबले बैटरी वाहनों की बिक्री 23% बढ़ गई है और इस तेज़ी में घटी हुई जीएसटी दरों (12% से 5%) का भी असर है। 

मंत्रालय के सर्कुलर से वाहन निर्माता उलझन में 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नये सर्कुलर ने वाहन निर्माताओं को उलझन में डाल दिया है। इस सर्कुलर में कहा गया है कि ईवी को बिना बैटरी के बेचा और पंजीकृत किया जा सकता है। महत्वपूर्ण है कि इलैक्टिक वाहन में 30 से 40% कीमत बैटरी की ही होती है। ज़ाहिर है इस सर्कुलर का मकसद कार की अपफ्रंट कीमत में कमी लाना है। यह सर्कुलर सेंट्रल मोटर वेहिकल एक्ट (1989) के उस नियम से भी छूट देता है जिसके मुताबिक इलैक्ट्रिक वाहन बैटरी समेत एक टेस्टिंग एजेंसी द्वारा प्रमाणित होना चाहिये। 

लेकिन इस सर्कुलर ने कार निर्माताओं के लिये उलझन पैदा कर दी है क्योंकि फेम-II नीति के तहत बैटरी वाहनों की सब्सिडी कार में फिट होने वाली बैटरी क्षमता से जुड़ी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का सर्कुलर  इस मैकिनिज्म के उलट है। 

ह्युदंई ने पार किया 1000 किमी का बैरियर! 

कोरियाई कार निर्माता कंपनी ह्युंदई ने कहा है कि उसकी कोना इलैक्ट्रिक एसयूवी ने एक चार्जिंग में ही 1000 किलोमीटर का सफर किया। यह टेस्टिंग जर्मनी में की गई। यह दूरी बिना कार का एसी और स्टीरियो सिस्टम चलाये तय की गई। कुल 3 टेस्ट किये गये जिनमें हर बार 64 किलोवॉट-घंटा बैटरी इस्तेमाल की गई और कार की औसत रफ्तार 29-31 किलोमीटर थी।

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