इतिहास का सबसे सूखा अगस्त झेलने के बाद अब भारत में करीब 30 प्रतिशत हिस्से में सूखे के हालात हैं और इससे खाद्य सुरक्षा के लिये बड़ा संकट हो सकता है। आईआईटी गांधीनगर की जल और जलवायु प्रयोगशाला द्वारा संचालित सूखे के लिए बनाई गई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत में सूखे की रियलटाइम जानकारी के लिए बनाया गया यह अपनी तरह का पहला प्लेटफॉर्म है।
जून में देश का 22 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल सूखा प्रभावित था जो अगस्त के अंत तक बढ़कर करीब 29 प्रतिशत हो गया। सितंबर के पहले हफ्ते में 30.4 प्रतिशत क्षेत्रफल सूखा प्रभावित हो गया। महत्वपूर्ण है कि अल निनो प्रभाव के कारण भी वर्षा पर असर पड़ा है। मृदा नमी सूचकांक के गिरने से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और कर्नाटक में कई ज़िलों में फसल को भारी नुकसान का खतरा है।
भू-जल गिरावट की दर तीन गुना हो जाएगी 2080 तक
भारत में अगले 60 साल में भू-जल में गिरावट की रफ्तार तीन गुना तक बढ़ सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बढ़ते सूखे की समस्या के लिए किसानों द्वारा अत्यधिक भू-जल दोहन और पर्याप्त बारिश के अभाव में रिचार्ज न होने के कारण यह ख़तरा बढ़ रहा है जो भारी खाद्य संकट और रोज़गार की समस्या पैदा कर सकता है। यह बात अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में पता चली है।
साइंस एडवांसेज नाम के जर्नल में प्रकाशित इस शोध में वैज्ञानिकों ने 10 क्लाइमेट मॉडल्स से तापमान और बारिश के अनुमान को गणना के लिए इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से बिगड़ते हालात में किसानों ने एडाप्टेशन के लिये भू-जल को इस्तेमाल किया लेकिन इसमें वॉटर टेबल पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका विचार नहीं किया गया। साल 2041 और 2080 के बीच भीजल में गिरावट वर्तमान दर की तीन गुनी हो सकती है। शोध बताता है कि भू-जल की कमी से भारत की एक तिहाई आबादी के आगे रोज़गार का संकट भी खड़ा हो जाएगा।
जून-अगस्त में पूरी दुनिया में रहा असामान्य रूप से अधिक तापमान
इस साल जून से अगस्त के बीच दुनिया में अब तक के सबसे अधिक तापमान दर्ज किए गए। इस बीच न केवल वैश्विक औसत तापमान ने रिकॉर्ड बनाया बल्कि दुनिया के अलग अलग देशों में तापमान वृद्धि उस स्तर तक पहुंच गई जो जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम दोगुना अधिक होने की संभावना थी।
भारत में इस दौरान औसत तापमान सामान्य से 0.6 डिग्री ऊपर रहा। कुल 200 देशों में रह रही दुनिया की 98% आबादी ने इस दौरान कम से कम एक दिन ऐसा ज़रूर महसूस किया जब तापमान अभूतपूर्व था। यह बात एक क्लाइमेट चेंज और विज्ञान पर काम करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन क्लाइमेट सेंट्रल के अध्ययन में पता चली है।
इससे ठीक पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने यूरोप के कॉपरनिक्स क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम के आंकड़ों के आधार पर कहा था कि अगस्त का महीना दूसरा सबसे गर्म और जुलाई का तापमान अब तक का सर्वाधिक रहा। इस साल जनवरी से अगस्त तक का औसत तापमान लें तो वह 2016 के बाद का अब तक की दूसरी सबसे गर्म समयावधि रही है।
हिमालयी एवलांच पर्वतारोहियों के लिये बढ़ा रहे संकट
शोध बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में एवलांच के कारण पर्वतारोहियों के मरने की घटनाएं बढ़ रही हैं और उनकी सुरक्षा को ख़तरा अधिक है। हालांकि हिमाद्रि में पर्वतारोहियों के लिए एवलांच संकट हमेशा ही रहता है लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हिमालयी पर्वत श्रंखला में यह ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है। एक ताज़ा विश्लेषण से पता चला है कि पिछले 5 दशकों में 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर चढ़ते हुए कुल 564 पर्वतारोहियों की जान गई। हिमालय में 8,000 मीटर से अधिक ऊंची 14 चोटियों और 6,000 मीटर से अधिक कुछ चोटियों पर चढ़ते हुए 1895 से 2022 के बीच कम से कम 1,400 पर्वतारोही मरे हैं जिनमें से एक तिहाई की मौत एवलांच के कारण हुई हैं।
पर्वतारोहण विशेषज्ञ और हिमालयी भूगोल और मौसम के जानकार कहते हैं कि एवलांच की बढ़ती आवृत्ति और समय बताएगा कि आने वाले दिनों में कितनी बड़ी समस्या पैदा होगी। वैश्विक औसत की तुलना में हिमालयी रेंज में दोगुनी तेज़ी से गर्म हो रही है और विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान वृद्धि के कारण पर्वतों में असंतुलन बढ रहा है जो भविष्य में एवलांच सक्रियता बढ़ाएगा।
अमेरिका: आपदाओं में एक साल के भीतर सर्वाधिक आर्थिक क्षति का रिकॉर्ड
अमेरिका में एक साल के भीतर आपदाओं सबसे अधिक आर्थिक क्षति का रिकॉर्ड बन गया है। नेशनल ओशिनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने सोमवार को घोषणा की कि इस साल अमेरिका में अब तक कुल 23 आपदाएं हुई हैं जिनमें 57 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हो चुका है और 253 लोगों की मौत हो गई है। इस साल अगस्त में ही कुल 1 बिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक क्षति हुई। हवाई के जंगलों में लगी विनाशक आग और तूफान इडालिया जैसी आपदाओं के कारण अमेरिका में यह क्षति इतनी बड़ी हुई और 2020 में एक साल में हुई कुल 22 आपदाओं का रिकॉर्ड टूट गया जिनमें कुल 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।
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