ईवी कंपनियां उत्पादन को लेकर अपनी योजनाएं बदल रही हैं।

उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ रही इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग

इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में लगातार वृद्धि के बाद भी, निर्माता चिंतित हैं कि ईवी की मांग उम्मीद के अनुसार नहीं बढ़ रही है। इसके लिए वह बढ़ती ब्याज दरों को दोषी ठहराते हैं। अधिक ब्याज दरों के चलते वाहन निर्माता कंपनियां उत्पादन को लेकर अपनी योजनाएं बदल रही हैं, और 2024 में अधिक सावधानी बरतना  चाहती हैं।

दक्षिण कोरियाई बैटरी निर्माता एलजी एनर्जी सॉल्यूशन के मुख्य वित्तीय अधिकारी ली चांग-सिल ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के चलते “अगले साल ईवी की मांग उम्मीद से कम हो सकती है”। वहीं होंडा और जनरल मोटर्स ने घोषणा की कि वे साथ मिलकर कम लागत वाली ईवी विकसित करने की 5 बिलियन डॉलर की योजना रद्द कर रहे हैं।

टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क ने भी कहा कि वह मेक्सिको में फैक्टरी बनाने की योजना को फ़िलहाल विराम दे रहे हैं। उन्होंने उच्च ब्याज दरों पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि ऐसा चलता रहा तो लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना कठिन होता जाएगा।

वहीं भारत में उपभोक्ता इलेक्ट्रिक कारों के मुकाबले हाइब्रिड कारें अधिक पसंद क रहे हैं। परिवहन मंत्रालय के वाहन डैशबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अब तक 64,097 इलेक्ट्रिक कारें बेची गई हैं, जबकि इसी दौरान 266,465 हाइब्रिड कारों की बिक्री हुई है।

चीन में निर्मित कारें भारत में बेचने पर टेस्ला को छूट नहीं: गडकरी

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि टेस्ला को भारत में सुविधाएं और छूट तभी मिलेगी जब वह यहीं पर उत्पादन करे।

इकॉनॉमिक टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में गडकरी ने कहा, “हम भारत में टेस्ला का स्वागत करते हैं। भारत एक बड़ा बाजार है और यहां सभी प्रकार के विक्रेता मौजूद हैं। लेकिन उसे रियायतें तभी मिलेंगी अगर वह भारत में स्थानीय स्तर पर उत्पादन करता है।”

“…लेकिन अगर आप चीन में निर्माण करते हैं और भारत में बेचना चाहते हैं, तो आपके लिए कोई रियायत उपलब्ध नहीं है,” उन्होंने स्पष्ट किया।

इस साल जून में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क ने कहा था कि वह 2024 में भारत आ सकते हैं, और “जल्द से जल्द टेस्ला भारत में होगी”। सितंबर में रिपोर्ट आई थी कि टेस्ला ने भारत से जो रियायतें मांगी हैं, सरकार उनपर विचार कर रही है।

ईवी बैटरी में प्रयोग होने वाले ग्रेफाइट के निर्यात पर चीन ने लगाया प्रतिबंध

चीन ने 1 दिसंबर, 2023 से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरियों में इस्तेमाल होने वाले ग्रेफाइट के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कहा है कि संवेदनशील ग्रेफाइट उत्पादों का ‘अस्थायी’ निर्यात नियंत्रण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुरक्षित करेगा और यह चीन के राष्ट्रीय हित में है।

दुनिया के 90% ग्रेफाइट का उत्पादन चीन में होता है। पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण खनिजों की मांग बढ़ने के कारण चीन ने यह प्रतिबंध लगाया है।

हालांकि कि चीन ने पांच कम-संवेदनशील ग्रेफाइट उत्पादों पर से अस्थाई नियंत्रण हटा लिया है, जिनका उपयोग इस्पात, धातुकर्म और रसायन जैसे उद्योगों में किया जाता है।

रिलायंस ने शुरू किया स्वैपेबल बैटरियों का परीक्षण

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बैंगलोर में ऑनलाइन किराना स्टोर बिगबास्केट के साथ स्वैपेबल ईवी बैटरी की आपूर्ति का परीक्षण शुरू कर दिया है, पीवी मैगज़ीन ने बताया। रिलायंस आयातित एलएफपी सेल को लेकर बैटरी का निर्माण करती है, लेकिन फ़िलहाल वह गुजरात में इंटीग्रेटेड बैटरी गीगाफैक्ट्री भी स्थापित कर रही है। ग्राहक अपनी डिस्चार्ज हो चुकी बैटरी को चार्ज की गई बैटरी से बदलने के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से निकटतम स्वैपेबल बैटरी चार्जिंग स्टेशन का पता लगा सकते हैं। बैटरियों को ग्रिड या सौर ऊर्जा से चार्ज किया जा सकता है और घरेलू उपकरणों को चलाने के लिए इनवर्टर के साथ जोड़ा जा सकता है।

रिलायंस भारत में अपनी प्रस्तावित इंटीग्रेटेड एनर्जी स्टोरेज गीगा-फैक्ट्री के लिए कोबाल्ट-मुक्त लिथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) और सोडियम-आयन प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है।

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