दुनिया में सबसे खराब एयर क्वॉलिटी वाले शहरों में एक दिल्ली की हवा को साफ करने के लिये राज्य सरकार 60 करोड़ डॉलर की योजना बना रही है। दिल्ली के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के वाइस चेयरमैन जैस्मिन शाह के मुताबिक हवा को साफ करने के लिये साल 2025 तक यहां कुल वाहनों के 80% इलैक्ट्रिक होंगे औऱ इनके लिये बड़ी संख्या में चार्जिंग स्टेशन लगाये जायेंगे। शाह के मुताबिक दिल्ली अपनी एक चौथाई बिजली सोलर पैनलों की मदद से बनायेगा ताकि कार्बन इमीशन को प्रभावी रूप से कम किया जा सके।
महत्वपूर्ण है कि एयर क्वॉलिटी के एक वैश्विक विश्लेषण में पाया गया था कि पीएम 2.5 के मामले में दिल्ली दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित शहर है। बुधवार को अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट इंस्टिट्यूट द्वारा ‘एयर क्वॉलिटी एंड हेल्थ इन द सिटी’ नाम से जारी रिपोर्ट में दुनिया के 7,000 शहरों के साल 2010 से 2019 तक के डाटा का एनालिसिस किया गया। इसमें पीएम 2.5 की सूची में दिल्ली और कोलकाता पहले और दूसरे नंबर पर रहे।
हीटवेव के दौरान वायु प्रदूषण ने भी बनाया रिकॉर्ड
सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (सीएसई) के ताज़ा विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल गर्मियों में हीटवेव के दौरान उत्तर भारत में वायु प्रदूषण ने भी रिकॉर्ड बनाया। पीएम 2.5 का औसत स्तर 71 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो डब्लूएचओ के तय मानकों (5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से 14 गुना अधिक था। पीएम 2.5 का बढ़ता स्तर अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश में यह चिन्ता का विषय है।
आंकड़े बताते हैं बिहारशरीफ में दैनिक पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था जबकि हरियाणा के रोहतक में यह 258 और पटना में 200 रिकॉर्ड किया गया। सीएसई का विश्लेषण बताता है कि वायु प्रदूषण के इस स्तर के लिये केवल वाहन ही नहीं बल्कि उद्योग और बिजलीघर, कूड़ा जलाना और शुष्क गर्म मौसम में धूल का उड़ना ज़िम्मेदार रहा। इसके बारे में विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है।
वायु प्रदूषण से हो रही चुपचाप मौत, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री का बयान
पिछले महीने सरकार ने संसद में कहा था कि वायु प्रदूषण एक शहरी समस्या है और उससे इसी तरीके से निपटा जाना चाहिये। लेकिन अब कर्नाटक में बीजेपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा है कि “वायु प्रदूषण से लोग चुपचाप मर रहे हैं” और इस समस्या को “कई स्तर पर” हल करना होगा वरना आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। सुधाकर ने यह बात वायु प्रदूषण से जुड़े एक कार्यक्रम – इंडिया क्लीन एयर समिट 2022 – में कही।
उधर कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिन श्रीनिवासुलू ने कहा है कि लोग वायु प्रदूषण की समस्या को तभी समझेंगे जब यह उनको चोट पहुंचायेगा। श्रीनिवासुलू ने कहा कि ब्रांकाइटिस के मरीज़ों की बढ़ती संख्या और इसका प्रकोप लोगों को यह समझाने के लिये काफी होना चाहिये कि एयर पॉल्यूशन कितनी बड़ी चिन्ता है।
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