दिल्ली सरकार की निर्माण एजेंसियो को चेतावनी लेकिन क्या होगा कुछ असर?

धूल प्रदूषण को रोकने के लिए बिल्डरों को मानदंडों का पालन करना होगा: दिल्ली सरकार

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने निर्माण एजेंसियों को चेतावनी दी कि अगर वे शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए शहर सरकार के 14 सूत्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राय ने राष्ट्रीय राजधानी में वार्षिक शीतकालीन प्रदूषण वृद्धि से पहले सरकारी और निजी निर्माण एजेंसियों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

पर्यावरण मंत्री ने सभी निर्माण एजेंसियों को दिशानिर्देशों के संबंध में निर्माण श्रमिकों को साइट पर प्रशिक्षण प्रदान करने का आदेश भी दिया। जहा निर्माण क्षेत्र 5,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है, उन साइटों पर बिल्डरों को एंटी-स्मॉग गन भी लगानी होगी। दिल्ली सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए 15 फोकस बिंदुओं के साथ एक कार्य योजना तैयार की, जिसमें धूल प्रदूषण पर अंकुश लगाना भी शामिल है।

और दो हफ्ते पहले ही दिल्ली सरकार ने आगामी दिवाली सीज़न के दौरान राजधानी क्षेत्र में सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध फिर से लगाने की घोषणा की थी।

नहर में प्रदूषण की जांच के लिए एनजीटी ने बनाई समिति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब में पटियाला फीडर नहर में दूषित पानी के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है। विभिन्न पर्यावरण एजेंसियों के सदस्यों वाली समिति को स्थिति का आकलन करने और समाधान प्रस्तावित करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया है। यह कदम लुधियाना के जरगारी गांव के निवासियों द्वारा दायर एक याचिका के बाद उठाया गया है, जिसमें ग्रामीणों द्वारा बनाए गए जरगारी नाले के बारे में चिंता जताई गई थी। जरगारी नाला पटियाला ब्रांच फर्स्ट फीडर नहर को पार करता है और पानी को लस्सारा नाले में छोड़ता है, जो एक अंतरराज्यीय नाला है और जिसमे निकास ना होने के कारण वह एक तालाब बन गया है।

ग्रामीणों ने कहा कि बने हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बंद रहने के कारण सीवेज का पानी जरगारी नाले में बह रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अनुपचारित पानी के नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) स्तर और फ़ेकल कोलीफ़ॉर्म का स्तर अनुशंसित मानकों से अधिक पाया गया है।   

धातु-खनन प्रदूषण दुनिया भर में 2 करोड़ से ज़्यादा लोगों को करता है प्रभावित 

दुनिया भर में कम से कम 2 करोड़ लोग धातु-खनन गतिविधि से जहरीले कचरे की संभावित हानिकारक सांद्रता से दूषित मैदानी इलाकों में रहते हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने दुनिया की 22,609 सक्रिय और 1,59,735 बन्द हो चुकी खदानों का मानचित्रण किया और उनसे प्रदूषण की सीमा की गणना की। खनन कार्यों से रसायन मिट्टी और जलमार्गों में जा सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य की खदानों की योजना में बहुत सावधानी बरतनी होगी। विशेष रूप से तब जबकि लिथियम और तांबे सहित बैटरी प्रौद्योगिकी और विद्युतीकरण का समर्थन करने वाली धातुओं की मांग बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा की दूषित मिट्टी पर उगाई गई या खदान के कचरे से दूषित पानी से सिंचित फसलों में धातुओं की उच्च मात्रा पाई गई है। 

जीवाश्म ईंधन की तुलना में स्वच्छ हवा पर पहली बार हुआ अधिक खर्च 

एक रिपोर्ट में पाया गया है कि सरकारों, एजेंसियों और विकास बैंकों ने रिकॉर्ड पर पहली बार जीवाश्म ईंधन की तुलना में स्वच्छ हवा पर अधिक सहायता राशि खर्च की है। हालाँकि ऐसी परियोजनाओं को अभी भी अंतर्राष्ट्रीय विकास निधि का 1% से भी कम प्राप्त होता है।

रिपोर्ट में पाया गया कि जीवाश्म ईंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग 2019 में चरम पर थी और इसमें तेजी से गिरावट आई है।  2021 में कोयला संयंत्रों या गैस पाइपलाइनों के निर्माण जैसी जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं पर लगभग 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किया गया, जो दो साल पहले खर्च किये 11.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है। बाहरी वायु प्रदूषण से निपटने पर खर्च की जाने वाली राशि बढ़कर 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है। इस बदलाव के बावजूद, 2015 और 2021 के बीच स्वच्छ हवा पर लक्षित खर्च अंतरराष्ट्रीय विकास निधि का केवल 1% और अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक जलवायु वित्त का 2% था।

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