साफ ऊर्जा उत्पादन के मामले में यूपी देश में नौवें स्थान पर है।

सौर ऊर्जा लक्ष्यों में पिछड़ रहा है उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश जनसंख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां ऊर्जा की मांग भी सबसे ज्यादा है और इसलिए देश के नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य की प्राप्ति में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। फिर भी यह राज्य अपने सौर ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति में पिछड़ रहा है

साफ ऊर्जा उत्पादन के मामले में यूपी देश में नौवें स्थान पर है। राज्य के 75 जिलों में से केवल 18 में बड़ी सोलर परियोजनाएं हैं। मार्च 2022 तक उत्तर प्रदेश में कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 30,769 मेगावाट थी। 31 दिसंबर 2022 तक राज्य में सौर ऊर्जा उत्पादन 2,485.16 मेगावाट था। राज्य सरकार ने 2026-27 तक 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यानी अगर रोज करीब 14 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएं तभी इस लक्ष्य को तय समय में हासिल किया जा सकता है।

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, रूफटॉप सोलर योजना का दूसरा चरण वर्ष 2022 में शुरू किया गया था। इसके तहत 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित 3,408.13 मेगावाट में से यूपी को 121.2 मेगावाट का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि, 31 दिसंबर, 2022 तक उत्तर प्रदेश के आवासीय क्षेत्रों में केवल 23.70 मेगावाट के सौर संयंत्र स्थापित किए गए थे।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम-कुसुम योजना के तहत भी यूपी का प्रदर्शन अब तक निराशाजनक रहा है। एमएनआरई की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022-23 के लिए पीएम-कुसुम योजना-ए (ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लांट) के तहत यूपी में 225 मेगावाट के संयंत्रों को मंजूरी दी गई थी। लेकिन एक भी संयंत्र नहीं बनाया गया।

जानकारों का कहना है राज्य को अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर आने वाली कठिनाइयों से जूझना होगा और तकनीकी समस्याओं को हल करना होगा।

भारत की अक्षय ऊर्जा बूम 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के लिए पर्याप्त नहीं: रिपोर्ट

भारत का नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन यह गति ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पर्याप्त नहीं है, क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर ने अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया है। विभिन्न सरकारों के क्लाइमेट एक्शन पर नज़र रखने वाले इस समूह ने इस रिपोर्ट में 16 देशों का विश्लेषण किया है कि क्या उनकी बिजली क्षेत्र को डीकार्बनाइज करने की योजना ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लक्ष्य के अनुरूप है या नहीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी देशों को 2035 तक अपनी बिजली का 80% से अधिक नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने की जरूरत है। और 2050 तक 90-100% बिजली आपूर्ति नवीकरणीय स्रोतों से होनी चाहिए। 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप रहने के लिए भारत को 2030 तक 70-75% बिजली उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से करना होगा, लेकिन सरकार की मौजूदा योजनाओं के हिसाब से 50% से भी कम उत्पादन साफ़ ऊर्जा से होगा।

हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने रिपोर्ट के विश्लेषण से असहमति जताते हुए कहा कि भारत सरकार शमन और अनुकूलन दोनों के संदर्भ में कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू कर रही है और यह रिपोर्ट इस पहलू को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है।

भारत ने पहली अपतटीय पवन परियोजना के लिए निविदा जारी की

केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को अपतटीय पवन परियोजनाओं के विकास के लिए तमिलनाडु के तट पर सीबेड आवंटित करने के लिए देश की पहली निविदा जारी की। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि फिलहाल भारत में कोई अपतटीय पवन परियोजना नहीं हैं। देश में अब तक केवल भूमि-आधारित पवन फार्म हैं, जिनकी कुल क्षमता 44,089.68 मेगावाट है।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) नीलामी के माध्यम से सीबेड साइट आवंटित करेगा। जो डेवलपर्स या उत्पादक 31 दिसंबर, 2032 या उससे पहले अपनी अपतटीय पवन परियोजना चालू कर देते हैं उनके लिए अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क माफ कर दिया जाएगा। वरिष्ठ एमएनआरई अधिकारियों ने कहा कि अपतटीय पवन परियोजनाओं पर अध्ययन में अधिकतम पांच साल लगेंगे, और पहली परियोजना 2030 के बाद ही चालू  होने की संभावना है।

नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ीं नौकरियां, लेकिन चीन अब भी सबसे आगे

साल 2022 में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में रोजगारों की संख्या बढ़कर 1.37 करोड़ हो गई, जिनमें से दस लाख रोजगार केवल पिछले एक साल में जोड़े गए। यह आंकड़े अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) और अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने अपनी एक संयुक्त रिपोर्ट में दिए हैं।

2023 के वार्षिक रिव्यू में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश तेजी से बढ़ा है जिससे रोजगारों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन फिर भी इनमें से 41% रोजगार केवल चीन में उत्पन्न हुए हैं। रोजगारों के मामले में अन्य अग्रणी देशों में ब्राज़ील, यूरोपीय संघ, भारत और अमेरिका शामिल हैं। 

इन रोजगारों में सबसे अधिक 49 लाख नौकरियां सौर फोटोवोल्टिक्स (पीवी) में मिली हैं, जिसकी संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा कार्यबल में हिस्सेदारी एक तिहाई से अधिक है। हाइड्रोपावर और बायोफ्यूल सेक्टरों में लगभग 25 लाख नौकरियां मिलीं, जबकि पवन ऊर्जा में रोजगारों की संख्या 14 लाख रही।

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