दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता की स्थिति ‘बेहद ख़राब’ बनी हुई है। मंगलवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 364 रहा। हालांकि एक्यूआई के ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंचने की आशंका जताई जा रही थी। यदि यह सूचकांक 400 के ऊपर जाकर ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंच जाता है तो दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चरण III के तहत सख्त प्रतिबंध लागू करने की आवश्यकता होगी।
सोमवार को केंद्र ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ग्रैप-III के तहत सख्त उपाय लागू करने से परहेज किया।
उधर दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों को पीछे छोड़ सहरसा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 53 अंक बढ़कर 421 पर पहुंच गया है। सहरसा में प्रदूषण की स्थिति यह है कि वहां हालत गैस चैम्बर जैसे बन गए हैं। इसी तरह देश के 26 अन्य शहरों में भी स्थिति जानलेवा बनी हुई है।
आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम बांध में जल प्रदूषण के कारण मछलियां, सूअर मरे
पिछले कुछ दिनों में आंध्र प्रदेश के करनूल जिले के श्रीशैलम जलाशय के करीब कृष्णा नदी में सैकड़ों मछलियां मरी हैं। प्रभावित मछुआरों द्वारा अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराने के बाद यह मामला प्रकाश में आया। श्रीशैलम बांध के सामने पुल के पास एक गेजिंग तालाब में बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां पाई गईं। इसके अलावा कुछ सूअर भी मृत पाए गए।
श्रीशैलम जलाशय के सामने के हिस्से में पानी के रंग में भी परिवर्तन दिखाई दिया। स्थानीय मछुआरे इन घटनाओं के लिए जल प्रदूषण को जिम्मेदार मानते हैं और उनका कहना है कि सूअरों की मौत मरी हुई मछलियां खाने या दूषित पानी पीने से हुई होगी। आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों के स्वास्थ्य पर भी यह प्रदूषित पानी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
हालांकि श्रीशैलम के मत्स्य विकास अधिकारी ने कहा कि ऐसा ऑक्सीजन की कमी और पानी की सतह पर शैवाल के संचय के कारण हो सकता है, क्योंकि बांध में पानी नहीं बह रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाएं सर्दियों में अक्सर होती हैं।
बढ़ते मीथेन उत्सर्जन के बीच दुनिया का सबसे बड़ा क्रूज हुआ चालू
दुनिया का सबसे बड़ा क्रूज जहाज अपनी पहली यात्रा के लिए निकल चुका है। लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं को चिंता है कि लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) से चलने वाला यह जहाज और अन्य विशाल क्रूज लाइनर वायुमंडल में हानिकारक मीथेन उत्सर्जित करेंगे।
रॉयल कैरेबियन इंटरनेशनल का जहाज ‘आइकॉन ऑफ़ द सीज़’ मियामी से रवाना हुआ है। बीस डेकों वाला इस जहाज पर 8,000 यात्री सफर कर सकते हैं। यह जहाज एलएनजी पर चलता है, जो पारंपरिक मरीन ईंधन की तुलना में बेहतर है, लेकिन इस ईंधन से मीथेन का उत्सर्जन अधिक होता है।
क्लाइमेट समूहों का कहना है कि मीथेन उत्सर्जन के अल्पकालिक हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं और जलवायु के लिए यह जोखिम स्वीकार नहीं किया जा सकता। ग्लोबल वार्मिंग की बात करें तो दो दशकों कि अवधि में मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक हानिकारक है, जो दर्शाता है कि मीथेन उत्सर्जन में कटौती करना कितना महत्वपूर्ण है।
बायोमास ईंधन पर खाना पकाने से भारत में हर साल 6 लाख मौतें
भारत में 41 प्रतिशत लोग अभी भी खाना पकाने के लिए लकड़ी, गाय के गोबर या अन्य बायोमास ईंधन का उपयोग करते हैं। इसके परिणामस्वरूप हर साल पर्यावरण में लगभग 340 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो भारत के ग्रीनहाउस उत्सर्जन का लगभग 13 प्रतिशत है, एक नई रिपोर्ट में कहा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी — वैश्विक स्तर पर 2.4 अरब लोग (भारत में 500 मिलियन लोग) — के पास अभी भी खाना पकाने के लिए साफ ईंधन उपलब्ध नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को बेहिसाब नुकसान होता है।
घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग तीस लाख लोग (भारत में छह लाख) समय से पहले मर जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मौतें ज्यादातर लकड़ी पर खाना पकाने के कारण होती हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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