कोल इंडिया ने इरादा जताया है कि वह जल्दी ही ओडिशा में कोयला खदान शुरु करेगा जो कि कुछ ही सालों में देश की सबसे अधिक उत्पादन करने वाली खान बनेगी। कोल इंडिया ने यह बात समाचार एजेंसी रॉयटर से बातचीत में कही है। इस साल के कोयला और बिजली संकट के बीच देश की सरकारी कंपनी कोल इंडिया ने कहा है कि वह पूर्वी ओडिशा में खदान खोलेगा जो अगले 5 से 7 साल के भीतर 5 करोड़ टन सालाना कोयले का उत्पादन करने लगेगी। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अभी 400 गीगावॉट से अधिक है और इसमें से 110 गीगावॉट साफ ऊर्जा है। यह एक सवाल है कि सरकार का कोयला उत्पादन बढ़ाने का फैसला उसके इमीशन को कई गुना बढ़ायेगा जबकि उसने उत्सर्जन कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। भारत ने 2030 तक 450 गीगावॉट साफ ऊर्जा के संयंत्र लगाने का वादा किया है।
देश के बाहर चीनी मदद से बनने वाले 15 कोल पावर प्रोजेक्ट्स रद्द लेकिन इरादों में अस्पष्टता बरकरार
क्या चीन अब देश के बाहर लगने वाले कोल पावर प्लांट्स से दूर रहेगा? यह सवाल ऊर्जा और पर्यावरण विशेषज्ञों को उलझाता रहा है लेकिन सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (क्रिया) का विश्लेषण कहता है कि चीन की मदद से बन रहे 15 निर्माण पूर्व प्रोजेक्ट या तो ठंडे बस्ते में चले गये हैं या रद्द कर दिये गये हैं।
देश के चार केंद्रीय मंत्रालयों के संयुक्त बयानों को सावधानी से पढ़ने पर क्रिया ने पाया कि सरकारी वादे के मुताबिक आने वाले दिनों में इनके 15 के अलावा अन्य 45 प्रोजेक्ट्स पर पुनर्विचार होगा जिनमें से करीब 70 प्रतिशत प्रोजेक्ट रद्द हो जायेंगे। चीन ने पिछले साल वादा किया था कि वह देश के बाहर किसी कोल प्रोजेक्ट में मदद नहीं करेगा लेकिन क्रिया का विश्लेषण यह भी कहता है कि नई घोषणा और कुछ प्रोजेक्ट के रद्द होने के बावजूद दस्तावेजों में अस्पष्टता बरकरार है जिसकी मदद से चीन कोयले में लगा रह सकता है।
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