केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि 2030 तक देश में बिजली उत्पादन का 50% कोयले से ही होगा। हालांकि तब तक देश में बने कुल बिजलीघरों की कुल क्षमता (total installed power capacity) का 65% साफ ऊर्जा होगी। इससे पता चलता है कि सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों की कुल उच्चतम उत्पादन क्षमता (peak power output), देश में बिजली की अधिकतम मांग (peak power demand) के अनुरूप नहीं है जिससे कोयले की ज़रूरत बनी रहेगी। भारत में कोयले की सालाना मांग करीब 100 करोड़ टन हो गई है लेकिन CEA की ताज़ा रिपोर्ट यह नहीं बताती कि अगर भारत इतने कोयले का इस्तेमाल करेगा तो फिर वह पेरिस में किये वादे के मुताबिक 2030 तक अपने कार्बन इमीशन की तीव्रता को 30-35% (2005 के स्तर पर) कम कैसे करेगा।

कोयले का राज कायम: साफ ऊर्जा के क्षेत्र में तमाम वादों के बाद भी ज़मीनी सच्चाई को बदलने में वक्त लगेगा। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण कहती है कि 2030 में भी 50% उत्पादन कोयले से ही होगा। फोटो: Zimbio
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