भारत में अक्षय ऊर्जा सेक्टर आगामी केंद्रीय बजट 2025 में महत्वपूर्ण नीतिगत सहायता की उम्मीद कर रहा है, जिससे एनर्जी ट्रांजिशन में तेजी आ सके। उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ अक्षय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने के लिए अधिक इंसेंटिव देने और ग्रीन हाइड्रोजन पहलों के लिए समर्थन बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं।
साथ ही नवीकरणीय सेक्टर में अधिक रोजगार पैदा करने और उद्योगों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी गति प्रदान की जा सके। विशेषज्ञ अपतटीय पवन ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर अधिक ध्यान देने की भी मांग कर रहे हैं। पवन ऊर्जा क्षेत्र में भी ट्रांसमिशन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए सहायता की उम्मीद की जा रही है।
भारत में गैर-जीवाश्म स्रोतों से ऊर्जा क्षमता बढ़कर हुई 218 गीगावाट
भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित क्षमता 217.62 गीगावाट तक पहुंच चुकी है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि 2024 में 24.5 गीगावाट सौर क्षमता और 3.4 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में सौर में दो गुना से अधिक वृद्धि और पवन ऊर्जा की स्थापना में 21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक भारत की समग्र ऊर्जा उत्पादन क्षमता 462 गीगावाट थी, जिसमें हाइड्रो पावर समेत नवीकरणीय क्षमता 209.444 गीगावाट थी।
इस साल 28 गीगावाट तक अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ेगा भारत
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता में 25 से 28 गीगावाट तक की वृद्धि कर सकता है। इसमें से अधिकांश हिस्सेदारी सौर ऊर्जा की होगी। इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, दिसंबर 2024 के अंत तक 18.8 गीगावाट ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। पीवी मैगज़ीन के अनुसार, रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि 2030 तक भारत की कुल ऊर्जा क्षमता में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 55 से 60% तक जाएगी। हालांकि, वास्तविक बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा केवल 35% से 40% का ही योगदान करेगी।
जानकारों का कहना है कि ऊर्जा क्षमता में वृद्धि के लिए भूमि अधिग्रहण, कनेक्टिविटी और पर्याप्त निकासी/ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याओं का हल महत्वपूर्ण है।
सोलर पीवी के लिए नया क्वालिटी कंट्रोल आदेश जारी
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने ‘सौर प्रणाली, उपकरण और घटक सामान आदेश, 2025’ अधिसूचित किया है, जो 2017 में जारी नियमों की जगह लेगा। यह आदेश सोलर पीवी मॉड्यूल, इनवर्टर और स्टोरेज बैटरी पर लागू होगा। इस आदेश के तहत सोलर पीवी मॉड्यूल, इनवर्टर और स्टोरेज बैटरियों को (बीआईएस द्वारा अधिसूचित) नवीनतम भारतीय मानकों के अनुरूप होना आवश्यक होगा तथा बीआईएस से लाइसेंस के तहत मानक चिह्न धारण करना होगा। हालांकि निर्यात के लिए बने उत्पाद इन मानकों से बाहर रहेंगे।
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