रिपोर्ट ने कई सिफारिशों के ज़रिए शहरों, क्षेत्रों, कंपनियों और फाइनेंसरों को बताया है कि वह अपनी नेट-जीरो प्रतिज्ञाओं और योजनाओं से ग्रीनवॉशिंग को कैसे समाप्त कर सकते हैं।
मिस्र में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मलेन (कॉप27) के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने ग्रीनवॉशिंग और छद्म नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह (एचएलईजी) की इस रिपोर्ट में नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं को पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप बताया गया है।
रिपोर्ट में ग्रीनवॉशिंग और कमजोर नेट-जीरो प्रतिज्ञाओं की तीखी आलोचना की गई है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान स्थिति में धरती के तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में आवश्यक कटौती करने के वैश्विक प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कार्बनकॉपी ने पहले भी बताया था कि कैसे अधिकांश नेट-जीरो मॉडल त्रुटिपूर्ण हैं, असमानता को बढ़ावा देते हैं और व्यावहारिक नहीं हैं।
कॉप27 से कुछ ही दिन पहले भी कई रिपोर्टों ने दोहराया था कि बढ़ती जलवायु प्रतिबद्धताओं के बावजूद, मौजूदा नीतियों के तहत होनेवाला उत्सर्जन पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तय सीमा से कहीं अधिक है।
कनाडा की पूर्व पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समूह की अध्यक्ष कैथरीन मैककेना ने कहा, “कई लोगों और संगठनों के साथ परामर्श और वैज्ञानिक अनुसंधान के नवीनतम तरीकों का प्रयोग करके हमने एक रोडमैप बनाया है जो यह सुनिश्चित करेगा कि उद्योगों, वित्तीय संस्थानों, शहरों और क्षेत्रों की नेट-जीरो प्रतिबद्धताएं महत्वाकांक्षी, पारदर्शी और विश्वसनीय हों” ।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट कहती है कंपनियां, शहर और राज्य ईमानदारी से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की बजाय “ग्रीनवॉशिंग” का सहारा ले रहे हैं। अपने उत्पादों को मार्केटिंग के ज़रिए बढ़ा-चढ़ा कर और गलत जानकारी के साथ पेश कर पर्यावरण के लिये बेहतर बताना ग्रीनवॉशिंग कहलाता है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयासों को ईमानदारी से लागू करने के बजाय मार्केटिंग के ज़रिये अपने उत्पाद को “ग्रीन” बताना भी ग्रीनवॉशिंग है।
2021 में कॉप26 के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गैर-राज्य अभिकर्ताओं (कंपनियां, और ऐसे क्षेत्र जो देश नहीं हैं, जैसे शहर या राज्य) के लिए मजबूत, स्पष्ट नेट-जीरो मानक विकसित करने हेतु समर्पित एक समूह की स्थापना की थी। एक साल बाद इस समूह ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट ने कई सिफारिशों के ज़रिए शहरों, क्षेत्रों, कंपनियों और फाइनेंसरों को बताया है कि वह अपनी नेट-जीरो प्रतिज्ञाओं और योजनाओं से ग्रीनवॉशिंग को कैसे समाप्त कर सकते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं:
• जलवायु योजनाओं में कार्रवाई की जिम्मेदारी झलकनी चाहिए और उनमें इतनी रफ्तार होनी चाहिए कि धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकताओं से अधिक ग्रीन हाउस उत्सर्जन न हो।
• उत्सर्जन को कम करने के बजाय “ऑफसेट” करने के प्रमाण पत्र नेट-जीरो प्रतिज्ञा के अंतिम वर्षों में खरीदने चाहिए। ऑफसेट का उपयोग करके कोई धोखाधड़ी नहीं होनी चाहिए।
• जलवायु योजनाओं और वार्षिक प्रगति रिपोर्टों में पर्याप्त विवरण होने चाहिए जो स्वतंत्र पक्षों द्वारा जांचे और सत्यापित किए जा सकें।
• कोई भी कंपनी या क्षेत्र जो नेट-जीरो लक्ष्य निर्धारित करता है, किसी नई जीवाश्म ईंधन आपूर्ति की खोज का समर्थन नहीं कर सकता है।
• लॉबिंग केवल सकारात्मक जलवायु कार्रवाई के लिए होनी चाहिए, उसके खिलाफ नहीं।
• जो कंपनियां और क्षेत्र बहुत सारी भूमि का उपयोग करते हैं वह सुनिश्चित करें कि 2025 तक वह वनों को हटाना बंद करेंगे।
• कंपनियों और क्षेत्रों को वास्तव में उत्सर्जन कम करके पर्याप्त विवरण और सावधानी के साथ अपनी जलवायु योजनाओं की प्रगति दिखानी चाहिए।
रिपोर्ट ने माना कि बिना विकासशील देशों को पर्याप्त वित्तीय सहायता के नेट-जीरो लक्ष्य हासिल नहीं होगा, और यह कंपनियों और क्षेत्रों की योजनाओं में झलकना चाहिए।
जेनिजेनी सस्टेनेबल फाइनेंस के विशेषज्ञ समूह की सदस्य और प्रबंध निदेशक मलंगो मुघोघो ने कहा कि अगर नेट-जीरो योजनाओं को उचित हिस्सेदारी के साथ अच्छी तरह लागू किया जाता है, तो यह लचीलापन बढ़ाने और तेज ऊर्जा संक्रमण में सहायक हो सकता है।
उन्होंने कहा, “जस्ट ट्रांजिशन एनर्जी पार्टनरशिप जैसे मौजूदा मॉडलों को नेट जीरो के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता से पूरा किया जा सकता है, लेकिन इस काम को करने के लिए, कॉप27 को एक वित्त पैकेज देने की जरूरत है और वित्तीय नियामकों को उच्च-प्रभाव वाले कॉर्पोरेट उत्सर्जकों से लेकर निजी और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों और वित्तीय संस्थानों के लिए विनियमन का विकास करना चाहिए।”
रिपोर्ट में सुझाया गया है कि उच्च-प्रभाव वाले कॉर्पोरेट उत्सर्जकों से शुरू करते हुए, नियमों और मानकों को विकसित और कार्यान्वित करने की ज़रूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अर्थव्यवस्था के जमीनी नियमों को ऐसे बनाया जाए जिससे नेट-जीरो योजनाएं उत्सर्जन कम करें। दिल्ली स्थित काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के सीईओ अरुणाभ घोष ने कहा, “अगर हमें नेट-जीरो को लेकर गंभीर होना है, तो निगमों द्वारा ग्रीनवाशिंग बंद होनी चाहिए। एचएलईजी का सुझाव है कि वह स्पष्ट लक्ष्य और मार्ग तय करें, लेकिन अपने खुद के प्रयासों से ग्रीनहाउस उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्यों को भी पूरा करें। साथ ही, नेट-जीरो की दिशा में की जाने वाली कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप विकासशील देशों में स्थायी बुनियादी ढांचे में कहीं अधिक जलवायु निवेश होना चाहिए और कमजोर समुदायों को सकारात्मक सामाजिक और आर्थिक परिणाम मिलने चाहिए। इस तरह के निवेश के बिना, नेट-जीरो ट्रांजिशन न तो न्यायपूर्ण होगा और न ही निष्पक्ष।”
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