कोयले पर भारी: रिसर्च कहती है कि पिछले साल साफ ऊर्जा के संयंत्र कोयला बिजलीघरों के मुकाबले कहीं अधिक किफायती साबित हुये। फोटो - pixabay

साफ ऊर्जा कोयले से अधिक किफायती साबित हुई: आइरीना

दुनिया के तमाम देशों को सस्टेनेबल ऊर्जा की ओर बढ़ने की सलाह देने वाली इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (इरीना) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल साफ ऊर्जा के नये संयंत्रों में से दो-तिहाई कोयले के मुकाबले अधिक किफायती साबित हुये।  एजेंसी के मुताबिक जी-20 देशों में करीब 163 गीगावॉट के क्लीन एनर्जी वाले संयंत्र थे जिनसे मिलने वाली बिजली सबसे सस्ते कोयले से भी किफायती साबित हुई। रिपोर्ट कहती है कि 2020 के मुकाबले 2021 में तटीय पवन ऊर्जा की कीमत 15 प्रतिशत कम हुई जबकि अपतटीय पवन ऊर्जा और फोटो वोल्टिक सेल से मिलने वाली (सौर ऊर्जा) की कीमत 13 प्रतिशत गिरी। 

साफ ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने में पीछे छूट सकता है भारत!

साफ ऊर्जा की कम कीमत और बढ़ते प्रयासों के बावजूद भारत 2030 के लिये तय किये गये क्लीन एनर्जी टार्गेट को हासिल करने में चूक सकता है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता हासिल करने और अपनी ज़रूरतों का 50% क्लीन एनर्जी से हासिल करने का लक्ष्य रखा है  लेकिन इस क्षेत्र में रिसर्च करने वाली ग्लोबल डाटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाज़ार की मौजूदा स्थित और इस दिशा में देश की  तरक्की को देखते हुये हो सकता है कि भारत 104 गीगावॉट पीछे रह जाये। भारत ने साल 2022 तक कुल 175 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा था लेकिन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और यूपी जैसे राज्य अपने तय लक्ष्य में पीछे रह गये और अभी तक केवल 110 गीगावॉट ही हासिल हो पाई है।  हालांकि ग्लोबल डाटा का कहना है कि बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को साफ ऊर्जा की श्रेणी में रखकर भारत क्लीन एनर्जी के इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है। 

खाद्य सुरक्षा और ग्रीन एनर्जी के रूप में 200 करोड़ डॉलर का निवेश 

भारत में नये फूड पार्क लगाने, भोजन की बर्बादी रोकने और जल संरक्षण के साथ उम्दा क्लीन टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित करने के लिये संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत में कुल 200 करोड़ अमरीकी डॉलर के बराबर निवेश करेगा।  चार देशों भारत, इस्राइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)  के ग्रुप को आई2यू2 कहा जाता है और इस ग्रुप के देशों में आपसी सहयोग के तहत यह फैसला किया गया है। 

यूएई भारत को गुजरात में 300 मेगावॉट का एक हाइब्रिड एनर्जी प्रोजेक्ट लगाने में मदद करेगा जिसमें पवन चक्कियां और सोलर पैनल दोनों का इस्तेमाल होगा। महत्वपूर्ण है कि भारत ने साल 2030 तक 500 गीगावॉट के साफ ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा है। जानकार कहते हैं कि  यूएई भले ही भारत को साफ ऊर्जा में आई2यू2 फ्रेमवर्क के तहत मदद कर रहा है लेकिन वह खुद जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़ा उपभोक्ता और व्यापारी है। 

टीपी शौर्या को मिला कर्नाटक में 600 मेगावॉट का अनुबंध 

टाटा पावर की क्लीन एनर्जी शाखा कंपनी टीपी शौर्या  को कर्नाटक में 600 मेगावॉट  का विन्ड-सोलर हाइब्रिड प्रोजेक्ट का अनुबंध मिला है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि उसे सस्ती बिजली दरों की बोली के आधार पर नीलामी के तहत सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) से यह ठेका मिला है। 

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