उठता ग्राफ: आईईए के मुताबिक 2030 तक ईवी बैटरियों की वैश्विक मांग 10 गुना हो जायेगी। फोटो - Pixabay

बैटरियों की वैश्विक मांग में 2030 तक 10 गुना बढ़ोतरी

ईवी बैटरियों की मांग अगले 8 साल में करीब 10 गुना हो जायेगी। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान 340 गीगावॉट घंटा से बढ़कर यह 3,500 गीगावॉट घंटा तक पहुंच जायेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैटरी वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुये ईवी बैटरियों के लिये सप्लाई चेन में बढ़ोतरी के साथ खनन और प्रोसेसिंग काफी अहम होगी। रिपोर्ट बताती है कि चीन का रोल इसमें काफी अहम रहेगा क्योंकि वह दुनिया की तीन-चौथाई लीथियम आयन बैटरियां बना रहा है और यहीं पर 70% कैथोड और 85% एनोड बनाये जाते हैं जो कि बैटरियों के अहम हिस्से हैं। इस तुलना में अमेरिका और यूरोपीय देशों का उत्पादन, प्रोसेसिंग और सप्लाई चेन में काफी कम योगदान है।  

आईईए के मुताबिक इस क्षेत्र में बेहतर निवेश, पर्यावरण के हित और सामाजिक रूप से समावेशी उत्पादन के लिये  दुनिया भर की सरकारों को निर्माता और उत्पादक देशों के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ाना होगा। 

विद्युत वाहनों में आग के मामले, सरकारी पैनल की रिपोर्ट इस महीने  

इलैक्ट्रिक टू-व्हीलर  यानी बैटरी दुपहिया वाहनों में आग की घटनाओं के बाद सरकार ने एक कमेटी गठित की थी ताकि बैटरियों को प्रमाण पत्र दिये जाने और क्वॉलिटी कंट्रोल के लिये एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) लाया जा सके।   कमेटी ये गाइडलाइंस इस महीने सरकार को जमा कर देगी। इस कमेटी में बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस और आईआईटी (चेन्नई) समेत कई महत्वपूर्ण संस्थानों के विशेषज्ञ हैं। कमेटी से कहा गया है कि वह बैटरी में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों की जांच, सर्टिफिकेशन और वैधता की प्रक्रिया  तय करे। 

दिसंबर तक पीएमआई उतारेगी 900 नई इलैक्ट्रिक बसें  

विद्युत वाहनों की निर्माता कंपनी पीएमआई का कहना है कि इस साल के अंत तक 900 इलैक्ट्रिक बसें भारत की सड़कों पर उतार दी जायेंगी। कंपनी का दावा है कि देसी टेक्नोलॉजी और समय पर डिलीवरी के साथ वह भारत की अग्रणी ऑटोमेकर्स में होगी। भारत के शहरों में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये इलैक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने की दरकार है। कोरोना लॉकडाउन के वक्त भी देश के 50 बड़े शहरों में 36 की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक पाया गया था।    

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