दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से आपात बैठक करने को कहा और गैर ज़रूरी निर्माण कार्य, कोर्ट ने राज्यों से भा कहा कि वह वर्क फ्रॉम होम को प्रोत्साहित करे। इससे पहले दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वह हालात को बेहतर बनाने के लिये स्थानीय स्तर पर होने वाले प्रदूषण रोकने के लिये हर कदम उठाने को तैयार है। कोर्ट ने राज्यों से भी कहा कि घातक प्रदूषण के हालात में वह वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दें।
इस साल भी सर्दियों की शुरुआत में वही कहानी दोहराई जा रही है। बीती 12 नवंबर को प्रदूषण इस स्तर तक बढ़ गया कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) सरकार को ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू करना पड़ा। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को लोगों से कहना पड़ा कि वह घर से बाहर न निकलें। बोर्ड ने सरकारी और निजी कंपनियों से भी कहा कि वह अपने वाहनों के इस्तेमाल में एक तिहाई कटौती करें। दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, नोएडा, हिसार औऱ चरखीदादरी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 से ऊपर रहा।
करोड़ों की सब्सिडी और जुर्माने के बावजूद पराली जलाने को मजबूर किसान
सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली और भारत के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में धुंध और बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है। यह वह समय भी है जब दोषारोपण का खेल अपने चरम पर होगा। दिल्ली सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों पर उनके खेतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाएगी। किसान भी शिकायत करेंगे कि किसी भी सरकार ने उन्हें समस्या का व्यावहारिक समाधान नहीं दिया है।
सरकार दावा करती है कि पराली जलाने पर नियंत्रण रखने के लिए कई उपाय किए गए हैं जैसे फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों को सब्सिडी, अपने खेतों में आग लगाने वाले किसानों को चालान जारी करना और अन्य वित्तीय प्रोत्साहनों की पेशकश आदि। लेकिन गांव कनेक्शन की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में किसान, छोटे और सीमांत किसानों का एक बड़ा हिस्सा पराली जलाने के लिए मजबूर हैं और उन्हें एक ‘वास्तविक समाधान’ की आवश्यकता है।
पंजाब का संगरूर जिला पराली जलाने के हॉटस्पॉट्स में से एक है, जहां 11 नवंबर को 566 आग के मामले दर्ज किए गए थे। फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की पेशकश के बाद भी, किसानों का कहना है कि वह पराली जलाने के लिए मजबूर हैं।
दिल्ली में चार नए प्रदूषण हॉटस्पॉट्स
दिल्ली के प्रदूषण हॉटस्पॉट्स में चार नए नाम जुड़ गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने संयुक्त रूप से 2018 में 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की पहचान की थी।
डीपीसीसी द्वारा 1 नवंबर से 8 नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि जहां इन 13 स्थानों पर एक्यूआई का ‘गंभीर’ स्तर लगातार दर्ज किया जा रहा है, वहीं इस अवधि के दौरान उच्च प्रदूषण स्तर वाले चार नए स्थान भी सामने आए हैं।
ये नए स्थान हैं अलीपुर, आईटीओ, नेहरू नगर और सोनिया विहार। उक्त अवधि के दौरान सभी चार स्थानों पर न केवल कम से कम चार ‘गंभीर’ वायु दिवस दर्ज किए गए, बल्कि इन स्थानों पर प्रदूषण का स्तर कुछ मौजूदा हॉटस्पॉट्स से भी अधिक रहा।दिल्ली के 13 मूल हॉटस्पॉट्स हैं जहांगीरपुरी, आनंद विहार, अशोक विहार, वजीरपुर, पंजाबी बाग, द्वारका सेक्टर 8, रोहिणी सेक्टर 16, आरके पुरम, बवाना, मुंडका, नरेला, ओखला फेज – 2 और विवेक विहार।
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