सर्दियों में दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को पराली दहन से जोड़ दिया जाता है लेकिन सेंट्रल फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट यानी सीएसई की एक ताज़ा रिसर्च में पाया गया है कि अक्टूबर और नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा में औसतन प्रतिदिन 80% प्रदूषक ऐसे हैं जो पराली के अलावा दूसरे स्रोतों से आते हैं। दिल्ली में दिसंबर के दूसरे पखवाड़े भी स्मोग के कारण भारी प्रदूषण (पीएम 250 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) रहता है जबकि उसमें पराली का कोई योगदान नहीं होता। दूसरी ओर अक्टूबर-दिसंबर के 52 दिनों में हवा में पराली के कारण पीएम 2.5 की सांध्रता 28 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी – जो कि बाकी स्रोतों के मुकाबले 25 प्रतिशत से भी कम है।
वायु प्रदूषण से 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा लक्ष्य पर फिरा पानी
आईआईटी दिल्ली के नये अध्ययन में पाया गया है कि 2001 और 2018 के बीच भारत में वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के कारण ही सौर ऊर्जा क्षमता का 29% नुकसान हुआ जो कि सालाना 83.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर है। साफ ऊर्जा पर काम करने वाली फर्म मरकॉम के मुताबिक मार्च 2022 तक भारत अपने तय लक्ष्य के आधे (50 गीगावॉट) तक ही पहुंच पाया जबकि उसका लक्ष्य 100 गीगावॉट के पैनल लगाना था।
इस स्टडी के लेखकों में से एक साग्निक डे के मुताबिक हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर, धूल, धुंध और धुंआं के कारण सोलर पैनल पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी काफी प्रभावित होती है और बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र लगाते समय इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिये।
वैज्ञानिकों के मुताबिक पैनल पर जमा होने वाले एरोसॉल से उत्पन्न “सॉइलिंग इफेक्ट” के कारण भी सोलर प्रोजेक्ट फेल हो रहे हैं। दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है इसलिये इन प्रभावों का खयाल रखा जाना ज़रूरी है।
2021 में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा, तीन साल हो रहे सुधार का क्रम टूटा
साल 2021 में देश के 31 शहरों में पीएम 10 का स्तर साल 2020 के मुकाबले बढ़ा है। सरकार ने संसद में यह सूचना दी है। कुल 132 शहरों में किये गये विश्लेषण से पता चलता है कि इन महीन कणों (पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर 96 शहरों में कम हुआ है और 4 शहरों में इनके स्तर में कोई बदलाव नहीं आया।
इस बीच स्विस फर्म आई-क्यू एयर द्वारा जारी वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल तक वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद वायु प्रदूषण का स्तर 2021 में फिर गिरा है। जानलेवा पीएण 2.5 का औसत स्तर 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 10 गुना अधिक ख़राब है। दिल्ली में 2020 के मुकाबले 15% अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया और वह लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी रही।
बिहार: पटना में डीज़ल वाहनों पर पाबंदी, 12,000 ऑटो और 200 बसें सड़कों से हटाईं गईं
बिहार सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ क़दम उठाते हुये एक अप्रैल से पटना और इससे सटे दानापुर, खगौल और फुलवारीशरीफ में व्यवसायिक डीज़ल वाहनों पर रोक लगा दी। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक करीब 12,000 ऑटो और 200 बसें सड़कों से हटने के कारण यात्रियों को परेशानी हुई। ऑटोचालकों का कहना है कि सीएनजी किट की भारी कीमतों (ऑटोचालकों के मुताबिक पटना में यह किट 75 हज़ार रुपये की है) के कारण वह इन्हें नहीं लगा पा रहे। बिहार सरकार ने 2019 में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुये डीज़ल वाहनों को हटाने का फैसला किया था लेकिन वह कोरोना महामारी के कारण लागू नहीं हो पाया।
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