भारत को अपने 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कहीं अधिक नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरत है।

भारत में अक्षय ऊर्जा विस्तार के लिए 100 करोड़ डॉलर के फंड को मंजूरी

भारत में उभरती हुई तकनीकों के इस्तेमाल के द्वारा एनर्जी ट्रांजिशन में तेजी लाने के लिए 1 अरब डॉलर तक के संयुक्त निवेश कोष को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दे दी है। भारत के राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड) और अमेरिकी डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन  ने नवीकरणीय अवसंरचना निवेश कोष को स्थापित करने के लिए $500 मिलियन तक प्रदान करने के लिए आशय पत्रों (एलओआई) का आदान-प्रदान किया है।

इस फंड का लक्ष्य होगा भारत में ग्रीनफील्ड, बैटरी स्टोरेज और उभरती हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की लागत को कम करना और इनकी स्थापना में तेजी लाना।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को 2030 तक 500 गीगावाट जीरो-कार्बन ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मौजूदा से कहीं अधिक स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकता है। जहां देश में हर साल 50 गीगावाट ऊर्जा क्षमता जोड़ी जानी चाहिए, वहीं 2019 के अंत से अबतक केवल 40 गीगावाट जोड़ी जा सकी है। इस मामले में भारत अभी चीन जैसे देशों से काफी पीछे है।

जी-20 देशों के बीच बना वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन

जीरो और लो-एमिशन विकास में जैव ईंधन, यानी बायोफ्यूल को महत्वपूर्ण बताते हुए कुछ जी-20 देशों ने एक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस) की स्थापना की है। 

दिल्ली में हुए शिखर सम्मलेन के पहले दिन भारत ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की शुरुआत की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों से इस पहल में शामिल होने और वैश्विक स्तर पर पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक ले जाने का आग्रह किया।

भारत के अलावा अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ब्राजील, इटली, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका इस पहल में शामिल हुए, जबकि कनाडा और सिंगापुर इस गठबंधन के पर्यवेक्षक देश हैं।

यह जैव ईंधन गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की तर्ज पर बना है। जैव ईंधन ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है जो बायोमास से प्राप्त होता है। भारत 85 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल आयात करता है, लेकिन अब यह फसलों के ठूंठ, पौधों के अपशिष्ट और म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट जैसी वस्तुओं से ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ा रहा है।

रूफटॉप सोलर स्थापना में हुई 3.2 प्रतिशत की वृद्धि: मेरकॉम

मेरकॉम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2023 की पहली छमाही में देश में रूफटॉप सोलर स्थापना 3.2 प्रतिशत बढ़कर 872 मेगावाट हो गई। 2022 की पहली छमाही में भारत में 845 मेगावाट रूफटॉप सोलर क्षमता स्थापित की गई थी।

‘मेरकॉम इंडिया रूफटॉप सोलर मार्केट रिपोर्ट’ में कहा गया है कि जून 2023 के अंत में भारत की कुल रूफटॉप सोलर क्षमता 9.6 गीगावाट तक पहुंच गई। इस साल की दूसरी तिमाही में 387 मेगावाट रूफटॉप सोलर क्षमता जोड़ी गई, जो जनवरी-मार्च 2023 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है। लेकिन पिछले साल की दूसरी तिमाही की तुलना में यह 0.5 प्रतिशत कम है।

रूफटॉप सोलर क्षमता में हुई इस वृद्धि में आवासीय उपभोक्ताओं ने 54 प्रतिशत, औद्योगिक उपभोक्ताओं ने 25 प्रतिशत और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं ने 21 प्रतिशत का योगदान दिया।

केरल में पिछले वित्त वर्ष में नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन 26.6% बढ़ा

केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2022-23 में नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 26.6% बढ़ गया। इन स्रोतों में छोटे पनबिजली, पवन और सौर ऊर्जा शामिल हैं।

2022-23 की पावर सिस्टम स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट के अनुसार, तीनों नवीकरणीय (आरई) स्रोतों से कुल उत्पादन 2021-22 में 1,713.30 मिलियन यूनिट (एमयू) से बढ़कर 2022-23 में 2,169.06 एमयू हो गया।

गैर-सोलर स्रोतों (छोटे पनबिजली और पवन) से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 1,208.60 एमयू से बढ़कर 1,312.43 एमयू हो गया। इसमें केएसईबी द्वारा संचालित 26 छोटे पनबिजली स्टेशनों, दो कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी), छोटे हाइड्रो क्षेत्र में नौ स्वतंत्र बिजली संयंत्र (आईपीपी) और केएसईबी और आईपीपी द्वारा पवन उत्पादन शामिल है।

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