विनाश जारी: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 22 राज्यों की करीब साढ़े ग्यारह हेक्टयर वनभूमि पिछले साल गैर वानिकी प्रोजेक्ट्स के लिये दी गई | Photo: ThoughtCo

मध्य प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान वन क्षेत्र में काटे गये पेड़

कोविड-19 महामारी के दौरान मध्यप्रदेश के वन क्षेत्र में बहुत सारे पेड़ काटे जाने के आरोपों के बाद अब वन और राजस्व अधिकारियों द्वारा एक जांच कराई जा रही है। इससे पहले साल 2019 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया था कि मध्यप्रदेश के कलियासोट और कर्वा बांध के बीच वन क्षेत्र को गैर-वानिकी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके लिये ज़रूरी अनुमति नहीं ली गई है।  

तब एनजीटी ने राज्य के वन विभाग से 30 अप्रैल (2020) तक पूरे क्षेत्र की मैपिंग करने और वन क्षेत्र को अपने अधिकार में लेने को कहा था। यह काम लॉकडाउन के दौरान भी होना था जो कि 24 अप्रैल को लागू किया गया। याचिकाकर्ता ने एनजीटी से कहा है कि लॉकडाउन के वक्त इस क्षेत्र में पेड़ों का घनत्व घटाने के लिये जमकर वृक्ष काटे गये ताकि यह इलाका वन क्षेत्र में न आये।

वनभूमि का गैर वानिकी योजनाओं  के लिये दिया जाना जारी

केंद्र सरकार ने माना है कि वन भूमि को गैर-वानिकी कार्यों के लिये दिया जाना जारी है। पिछले साल 1 जनवरी और 6 नवंबर के बीच 22 राज्यों की कुल 11467.83 हेक्टेयर (114.68 वर्ग किमी) वनभूमि ऐसे कामों के लिये दी गई जो जंगल से जुड़े नहीं थे। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 2019-20 की सालाना रिपोर्ट यह बताती है कि हस्तांतरण कुल 932 नॉन-फॉरेस्ट्री प्रोजेक्ट्स के लिये वन (संरक्षण) कानून 1980, के तहत किया गया। एक तिहाई से ज़मीन उड़ीसा में 14 प्रोजेक्ट्स के लिये दी गई। उसके बाद तेलंगाना और झारखंड का नंबर आता है। 

बिजली कंपनियों ने उत्सर्जन नियंत्रण के लिये मांगा और वक़्त

बिजली कंपनियों ने अपने पावर प्लांट से निकल रहे हानिकारक इमीशन रोकने के लिए एक बार फिर एक्सटेंशन मांगा है। अबकी बार कंपनियों ने बैंकों से कर्ज़ न मिल पाने के अलावा कोरोना का बहाना बनाया है। एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स ने देश के बिजली मंत्री को पत्र लिखकर इमीशन नियंत्रण के उपकरण लगाने के लिये और वक़्त मांगा है। यह बिजली कंपनियों को दूसरी बार मिलने वाली छूट होगी जिन्हें पहले 2017 तक इमीशन कंट्रोल टेक्नोलॉजी लगानी थी और अब 2022 तक छूट दी जा चुकी है।

EU: साफ ऊर्जा के इस्तेमाल का असर दिखा, इमीशन गिरे

यूरोपीय इन्वायरेंन्मेटल एजेंसी की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 में यूरोप के ग्रीन हाउस गैस इमीशन लगातार गिरे। अब तक इस साल के ही पूरे आंकड़े उपलब्ध हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के मुकाबले 2018 में इमीशन 2.1% कम हुये के स्तर से 23% कम थे। संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट डील के तहत 1990 के इमीशन, यूरोपियन यूनियन के लिये कार्बन इमीशन कम करने की बेस लाइन है। उत्सर्जन में इस कमी के पीछे कोयले का इस्तेमाल घटाने के साथ सौर और पवन ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाना प्रमुख कारण हैं। यूरोपियन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि कोरोना रिकवरी प्लान पर जो 75,000 करोड़ यूरो खर्च किये जा रहे हैं उससे यूरोपियन यूनियन के उन लक्ष्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये तय किये गये हैं।  कमीशन के मुताबिक ग्रीन ट्रांसपोर्ट लाने, साफ ऊर्जा से चलने वाले उद्योग स्थापित करने और घरों के नवीनीकरण के लिये 15,000 करोड़ यूरो इन दिशा में काम करने के लिये 15,000 करोड़  का फंड बनाया जायेगा।

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