सेंटर फॉर इंटरनेशनल इन्वारेंमेंटल लॉ (CIEL) का विश्लेषण बताता है कि जीवाश्म ईंधन और रसायन उद्योग से जुड़े 196 लॉबीकर्ताओं ने ओटावा (कनाडा) में प्लास्टिक प्रदूषण निरोधक वैश्विक संधि से जुड़े विमर्श के लिये पंजीकरण कराया है। पिछले साल नवंबर में जब संधि के लिये वार्ता हुई थी तो जीवाश्म ईंधन कंपनियों के 143 लॉबीकर्ता मौजूद थे। इस बार का यह आंकड़ा इनकी संख्या में 37% की वृद्धि दिखाता है। यह संख्या यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नुमाइंदों की संख्या से अधिक है।
पहाड़ों से लेकर समुद्र तक फैला प्लास्टिक आज मानवता के लिये सबसे बड़े ख़तरों में है। साल 2022 में सभी देश राजी हुये थे कि 2024 के अंत तक इसे लेकर एक संधि हो जायेगी। लेकिन प्लास्टिक निर्माण के लिये जीवाश्म ईंधन का प्रयोग होता है और प्लास्टिक का उत्पादन कम करने वाली कोई भी संधि इन कंपनियों के हितों के खिलाफ है। ओटावा में वार्ता के बाद वार्ता का आखिरी दौर इस साल दक्षिण कोरिया में होना है। जीवाश्म ईंधन कंपनियां इस तर्क को आगे बढ़ा रहे हैं प्लास्टिक की समस्या प्लास्टिक उत्पादन से नहीं बल्कि कचरे का सही प्रबंधन न होने के कारण है।
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