जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव धरती पर लगातार दिख रहे हैं लेकिन ज़्यादातर देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र में अपडेटेड प्लान जमा नहीं किया है। इस अपडेटेड प्लान के तहत तमाम देशों को 31 दिसंबर तक यह बताना था कि 2030 तक कार्बन इमीशन कम करने के घोषित कदमों को वो कैसे और कड़ा बनायेंगे। सभी देशों ने पेरिस संधि के तहत सदी के अंत तक धरती की तापमान वृद्धि 2 डिग्री से कम रखने और हो सके तो 1.5 डिग्री का संकल्प किया है। हालांकि यूके और यूरोपियन यूनियन के 27 देशों समेत कुल 70 देशों ने अपना प्लान जमा कर दिया है लेकिन चीन भारत, कनाडा, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे देशों ने अपना प्लान जमा नहीं किया है। रूस, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया ने अपने वर्तमान संकल्प को ही दोहराया है। चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया और भारत दुनिया के उन देशों में हैं जो काफी कार्बन इमीशन करते हैं। अमेरिका को डोनाल्ड ट्म्प वे पेरिस डील से अलग कर लिया था और अब जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका फिर से क्लाइमेट डील का हिस्सा बनेगा लेकिन उससे कितने ज़मीनी बदलाव होंगे इस पर सबकी नज़र है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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