पुर्तगाली शोधकर्ताओं के एक समूह ने पाया कि ऑस्ट्रेलिया के बोवेन बेसिन में सिर्फ छह कोयला खदानें मिलकर हर साल करीब 570000 टन मीथेन का उत्सर्जन कर रही हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के सालाना मीथेन उत्सर्जन के 55 प्रतिशत हिस्से के बराबर है। जबकि ये खदानें देश के कुल कोयला उत्पादन में केवल 7 प्रतिशत का ही योगदान करती हैं। हेल क्री खदान तो सबसे बुरी उत्सर्जनकारी खदान है। यह अमेरिका में एक साल के दौरान 40 लाख कारों द्वारा किये जाने वाले उत्सर्जन के बराबर प्रदूषण छोड़ती है। इस वक्त यह खदान ग्लेनकोर नामक कम्पनी की है, जिसने वर्ष 2018 में इसे रियो टिंटो से खरीदा था। मीथेन अपने शुरुआती 20 सालों में कार्बन डाई ऑक्साइड के मुकाबले 80 गुना ज्यादा वातावरणीय ऊष्मा को अपने अंदर लेती है, मगर ऑस्ट्रेलिया अपनी कोयला खदानों का बहुत मजबूती से समर्थन करती है और वह ऐसी कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है जिसने वर्ष 2030 तक मीथेन को 30 प्रतिशत तक कम करने के लिये वैश्विक गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया।
वर्ष 2045 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तय करेगी जर्मनी की तेल लॉबी
जर्मनी की तेल लॉबी एन2एक्स ने ऐलान किया है कि वह जीवाश्म स्रोतों से निकलने तेल से किनारा करेगी और वर्ष 2045 तक उद्योग क्षेत्र को नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कराने का इरादा करेगी। देश में इस वक्त ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताओं में जीवाश्म तेल का 32 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है। इसमें से 60 प्रतिशत का प्रयोग परिवहन क्षेत्र में होता है। हालांकि यह समूह उद्योग क्षेत्र से अपनी तेल शोधन इकाइयों की आंतरिक प्रक्रियाओं के लिये ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल करायेगा, पेट्रोल स्टेशनों को इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जर्स से लैस करायेगा और भारी परिवहन वाहनों के संचालन के लिये हाइड्रोजन को अपनाने के लिये प्रेरित करेगा। जर्मनी का तेल उद्योग विमानन और शिपिंग के लिये सिंथेटिक ईंधन बनाने की दिशा में काम कर रहा है और यह बदलाव एक ऐसे वक्त पर आ रहा है जब जर्मनी की अगली सरकार वर्ष 2035 से काफी पहले नये आईसीई वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है।
अमेरिकी राज्यों ने दी जीवाश्म ईंधन को सहयोग देने से मना करने पर बैंकों से 600 बिलियन डॉलर निकाल लेने की धमकी
अमेरिका के 15 राज्यों ने मिलकर अमेरिकी बैंकों को एक पत्र लिखा है। इसमें धमकी दी गयी है कि अगर बैंकों ने जीवाश्म ईंधन से सम्बन्धित परियोजनाओं के वित्तपोषण से इनकार किया तो वे इन बैंकों के अपने खातों में जमा 600 बिलियन डॉलर निकाल लेंगे। टेक्सस राज्य इन सूबों के गठबंधन का सबसे बड़ा प्रदेश है और तेल के लिहाज समृद्ध परमियन बेसिन का ज्यादातर हिस्सा इसी राज्य में आता है। पत्र में जोर देकर कहा गया है कि इन राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिये यह धमकी दी गयी है। इन प्रदेशों का मानना है कि बैंक बाइडेन सरकार के दबाव में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये धन दे रहे हैं। उनका कहना है कि टेक्सस ने यह साबित किया है कि ‘‘अक्षय ऊर्जा स्रोत और जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन एक बढ़ती हुई गतिमान अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिये साथ-साथ चल सकते हैं, और चलने भी चाहिये।’’ टेक्सस ने बैंकों के लिये जरूरी कर दिया है कि वे यह लिखित में देंगे कि वे जीवाश्म ईंधन आधारित परियोजनाओं का बहिष्कार नहीं करेंगे।
दूसरी ओर, बोस्टन के मेयर ने एक अध्यादेश पर दस्तखत किए हैं जिसके जरिए आगामी 6 दिसंबर 2021 से शहर को जीवाश्म ईंधन से मिलने वाले धन को ले लिया जाएगा। ऐसा करके बोस्टन (मैसाचुसेट्स), न्यूयॉर्क, पिट्सबर्ग और न्यू ऑरलियंस जैसे प्रमुख शहरों में शामिल हो गया है जो C40 ‘डाइवेस्टिंग फ्रॉम फॉसिल फ्यूल्स, इन्वेस्टिंग इन सस्टेनेबल फ्यूचर डिक्लेरेशन’ गठबंधन का हिस्सा हैं।
भारत : खदान मालिकों को कोयले के गैसीफिकेशन के लिए 50% राजस्व छूट मिलेगी
भारत सरकार ने ऐलान किया है कि वह ऐसे कोयला खदान मालिकों को मिलने वाली राजस्व छूट को 20% से बढ़ाकर 50% करेगी जो अपने नए नीलामीशुदा कोल ब्लॉक से निकलने वाले कोयले के कम से कम 10% हिस्से को कोल गैसीफिकेशन और लिक्विफिकेशन के लिए देंगे। इस भारी छूट को मेथेनॉल और सिंगैस के उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के एक जरिए के तौर पर देखा जा रहा है। सिंगैस आर्थिक रूप से एथेनॉल के मुकाबले ज्यादा किफायती है। खासकर तब जब इसे गैसोलीन के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। सिंगैस कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण है। इसे रसायन उद्योग का बिल्डिंग ब्लॉक माना जाता है और इसे मेथेनॉल के साथ-साथ ओलिफिंस (प्लास्टिक के निर्माण के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला तत्व) में भी तब्दील किया जा सकता है।
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