उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों को मंगलवार देर शाम निकाल लिया गया। ये मज़दूर 12 नवंबर की सुबह सुरंग में मलबा आ जाने के कारण फंस गये थे। यह सुरंग उत्तराखंड में बन रहे चारधाम यात्रा मार्ग का हिस्सा है और गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच दूरी कम करने के लिये बनाया जा रहा था। कुल 400 घंटों से अधिक समय तक चले ऑपरेशन में सरकार की दर्जन भर से अधिक एजेंसियों ने काम किया और कई क्षेत्रों के विशेषज्ञ लगाये गये। मज़दूरों को निकालने के लिये पहले अमेरिकल ऑगर मशीन का सहारा लिया गया और फिर हाथों से खुदाई की गई।
इस घटना के बाद यह सवाल भी उठा है कि क्या इस प्रोजेक्ट में नियमों की अनदेखी की गई। केंद्र सरकार ने देश में 29 सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करने की भी घोषणा की। राज्य सरकार ने भी घटना के दिन कारणों की जांच के लिये एक समिति की घोषणा की थी। इन समितियों की रिपोर्ट का इंतज़ार है।
चीन ने कहा, सांस संबंधी नये संक्रमण की वजह कोई नया वायरस नहीं
चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि उनके देश में सांस संबंधी बीमारियों में बढ़ोतरी किसी नये वायरस से नहीं है बल्कि ये फ्लू और ज्ञात रोगजनक कारणों से है। उत्तरी चीन में हाल में फेफेड़ों के संक्रमणों में तेज़ी से वृद्धि हुई और निमोनिया के लक्षणों के साथ लोगों का अस्पताल में भर्ती होना शुरु हुआ जिसमें बड़ी संख्या बच्चों की है। इस घटना से दुनिया में महामारी की संभावित आशंका को देखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिपोर्ट मांगी। भारत सरकार ने भी कहा है कि वह चीन में बढ़ते संक्रमणों पर नज़र रखे हुये है।
बेमौसमी बारिश से राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में 25 मरे
गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हफ्ते की शुरुआत में हुई बेमौसमी बारिश ने कम से कम 25 लोगों की जान ले ली। सबसे अधिक 20 लोगों की जान गुजरात में गई। लगभग पूरे गुजरात में रविवार को बारिश हुई। सूरत, सुरेंद्रनगर, तापी, अमरेली, भरूच और खेड़ा ज़िलों में 50 से 117 मिमी तक बारिश हुई। उधर मध्यप्रदेश के 39 ज़िलों में बेमौसमी बारिश हुई और न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री तक गिर गया। राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर में हल्की बारिश हुआ जबकि जालौर में ओलावृष्टि हुई।
भारत में साल के पहले 9 महीने हर दिन दिखी चरम मौसमी घटना
भारत में इस साल के पहले 9 महीनों में तकरीबन हर दिन चरम मौसमी घटना दिखी जिस कारण करीब 3,000 लोगों की मृत्यु हुई। भारत में यह चरम मौसमी घटनायें हीटवेव (लू), शीतलहर, बाढ़, भूस्खलन या चक्रवात जैसी घटनाओं के रूप में दिखीं। पर्यावरण और वित्ज्ञान पर काम करने वाली दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वारेंमेंट का ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर जगह यह चरम मौसमी घटनायें अनुभव की गईं जिनमें कुल 1.84 मिलियन हेक्टयर पर खड़ी फसल बर्बाद हुई, 2,923 लोगों की जान गई और 80,563 घर नष्ट हुये और 92,519 मवेशी मारे गये।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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