जनवरी 2019 में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) शुरू होने और विभिन्न नॉन अटेनमेंट शहरों को लेकर कार्ययोजनाएं पेश किये जाने के बाद लखनऊ में 15 अक्टूबर को नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) की शुरुआत की गयी। इस सिलसिले में आयोजित वर्कशॉप का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।
चूंकि वायु प्रदूषण एक जटिल विषय है, लिहाजा पूरे देश के 122 नगरों में एनसीएपी की कार्ययोजना लागू करने में मदद के लिये एनकेएन नामक एक अम्ब्रेला गठजोड़ बनाया गया है। इसमें विभिन्न आईआईटी तथा अनुसंधान संगठन शामिल हैं। लखनऊ में आयोजित यह वर्कशॉप ऐसे चार आयोजनों में से पहली है। इसमें 18 राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी), प्रौद्योगिकीय संस्थान, थिंक टैंक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ तथा विश्व बैंक, सीआईआई और यूएनडीपी जैसी अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधि एकत्र हुए।
एनसीएपी कोर कमेटी की नेशनल नोडल इकाई बनाये गये आईआईटी-कानपुर ने उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ब्लूमबर्ग फिलांट्रोफीज और शक्ति फाउंडेशन के सहयोग से राजधानी लखनऊ में इस वर्कशॉप की मेजबानी की। वर्ष 2017 की लांसेट, आईसीएमआर और आईएचएमई इत्यादि रिपोर्टों में लगाये गये अनुमानों के मुताबिक प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होंगी। इस वर्कशॉप में विभिन्न राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी-अपनी कार्ययोजनाएं पेश करेंगे।
उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण इंसान द्वारा प्रकृति को असंतुलित करने वाली हरकतों के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं में से एक है। वायु प्रदूषण एक वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि भारत वायु प्रदूषण से निपटने के सम्भव समाधान विकसित करने की दिशा में दुनिया को नेतृत्व दे सकता है, हालांकि इसके लिये मजबूत इच्छाशक्ति, ठोस रणनीति तथा अन्तरविभागीय और बहुपक्षीय तालमेल की जरूरत होगी। मुख्यमंत्री ने प्रभावी और फौरी कार्रवाई की राह में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों समेत विभिन्न एजेंसियों द्वारा पैदा की जाने वाली बाधाओं के साथ-साथ कार्यक्रम लागू करने और विभिन्न पक्षों के साथ समन्वय में उनकी कमजोरियों का भी जिक्र किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ‘स्वच्छ वायु’ नामक मोबाइल फोन एप्लीकेशन का भी शुभारम्भ किया। इसके जरिये आम नागरिक वायु प्रदूषण सम्बन्धी नियमों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने उद्घाटन समारोह में अपना संदेश भेजा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान, उन्हीं के विभाग के राज्य मंत्री अनिल शर्मा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव निधि खरे, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एसपीएस परिहार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौड़, सदस्य सचिव आशीष तिवारी, आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंडिकर और इसी संस्थान के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी ने भी अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।
इसके बाद एक तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसमें एनसीएपी के नोडल फैकल्टी प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी ने वायु प्रदूषण के स्रोत की पहचान के लिये ताजा शोध की रिपोर्ट पेश की। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव डॉक्टर प्रशान्त गार्गव ने एनसीएपी को लागू करने में सीपीसीबी की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में सिंधु-गंगा के मैदानों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ तथा पर्वतीय राज्यों उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये की जा रही गतिविधियों/बनायी जा रही योजनाओं के बारे में संयुक्त प्रस्तुतीकरण किया गया। ये खासे जीवंत सत्र थे, जिसमें प्रस्तोताओं ने अपनी सफलता की कहानियों, नये विचारों तथा मुश्किल चुनौतियों को सामने रखने में बहुत दिलचस्पी दिखायी। हालांकि हरियाणा का एक भी शहर एनसीएपी में शामिल नहीं है, मगर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी सीपीसीबी को अपनी योजना के बारे में बताया है और वर्ष 2024 तक फरीदाबाद और गुरुग्राम में वायु प्रदूषण की मात्रा में 35-50 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य तय किया है। यह एनसीएपी में निर्धारित 20-30 प्रतिशत से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण सम्बन्धी नियमों के पालन पर नजर रखने के लिये एक पोर्टल शुरू किया है। उत्तराखण्ड ने एनसीएपी पर पूरी तरह अमल को सुनिश्चित करने के लिये 11 विभागों के बीच तालमेल बनाने की कोशिशों और उनमें लग रहे समय को रेखांकित किया। वहीं, हिमाचल प्रदेश ने उन सीमावर्ती नगरों में हरियाली का दायरा बढ़ाने पर ध्यान देने की अपनी कोशिशों का जिक्र किया जो हरियाणा और पंजाब की तरफ से आने वाले प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। हालांकि इस राज्य में पर्यटकों के खासे आवागमन वाले शहरों को एनसीएपी के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।
वर्कशॉप में मौजूद साझीदारों के पास एक ऐसा सत्र आयोजित करने का अच्छा मौका था, जिसमें वे आंकड़ों, योजना तैयार करने, परस्पर सहयोग, क्रियान्वयन, तकनीकी विशेषज्ञता, सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों का आदान-प्रदान और वित्तपोषण के क्षेत्रों में परस्पर सहयोग पर चर्चा करते। यूएनडीपी, यूएनईपी, विश्व बैंक, स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एण्ड कोऑपरेशन जैसी एजेंसियां भी इस पैनल में शामिल थीं।
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